Kundli Tv- नवरात्र में क्यों करना चाहिए नवार्ण मंत्र का जाप?

Edited By Jyoti,Updated: 10 Oct, 2018 02:22 PM

navarna mantra

नवरात्रों के पूरे नौ दिन भगवती जगत जननी माता दुर्गा की विधि-विधान के साथ पूजा की जाती है। इन दिनों में मां की उपासन में दुर्गा चालीसा, दुर्गा सप्तशती का पाठ और कुछ मंत्रों का जाप करना बहुत ज़रूरी होता है।

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नवरात्रों के पूरे नौ दिन भगवती जगत जननी माता दुर्गा की विधि-विधान के साथ पूजा की जाती है। इन दिनों में मां की उपासन में दुर्गा चालीसा, दुर्गा सप्तशती का पाठ और कुछ मंत्रों का जाप करना बहुत ज़रूरी होता है। आज हम आपको एक और एेसे मंत्र के बारे में बताएंगे जिसका जाप करने से व्यक्ति को हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त हो सकती है। 
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भवानी के इस मंत्र का नाम है नवार्ण मंत्र अर्थात नौ अक्षरों का महामंत्र। ज्योतिष के  अनुसार इस महामंत्र में नौ ग्रहों को नियंत्रित करने की शक्ति होती है, जिसके द्वारा सभी भगवती दुर्गा के पूर्ण आशीर्वाद से सभी क्षेत्रों में पूर्ण सफलता प्राप्त की जा सकती है। यह महामंत्र शक्ति साधना में सर्वोपरि और सभी मंत्रों-स्तोत्रों में से एक महत्त्वपूर्ण महामंत्र है। कहा जाता है कि यह भगवती दुर्गा जी के तीनों स्वरूपों महासरस्वती, महालक्ष्मी व महाकाली की एक साथ साधना का पूर्ण प्रभावक बीज मंत्र है और दुर्गा के नौ रूपों का संयुक्त मंत्र है। ज्योतिष की मानें तो इस महामंत्र से नौ ग्रहों को भी शांत किया जा सकता है। यहां जानें देवी का ये महामंत्र- 
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नवार्ण मंत्र-
।। ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ।।


नौ अक्षर वाले इस अद्भुत नवार्ण मंत्र में देवी दुर्गा की नौ शक्तियां समाई हुई है। जिसका संबंध नौ ग्रहों से भी है।

ऐं = सरस्वती का बीज मंत्र है। 

ह्रीं = महालक्ष्मी का बीज मंत्र है।

क्लीं = महाकाली का बीज मंत्र है। 
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नवार्ण मंत्र बीज 
इस महामंत्र के प्रथम बीज 'ऐं' से माता दुर्गा की प्रथम शक्ति माता शैलपुत्री की उपासना की जाती है, इस बीज द्वारा सूर्य ग्रह को नियंत्रित किया जा सकता है।

द्वितीय बीज 'ह्रीं' से मां भवानी यानि माता दुर्गा की द्वितीय शक्ति माता ब्रह्मचारिणी की उपासना की जाती है, जिस में चंद्र ग्रह को नियंत्रित करने की शक्ति होती है।

तृतीय बीज 'क्लीं' से देवी दुर्गा की तृतीय शक्ति माता चंद्रघंटा की उपासना की जाती है, इस में मंगल ग्रह को नियंत्रित करने की शक्ति पाई जाती है।
 
चतुर्थ बीज 'चा' से मां दुर्गा की चतुर्थ शक्ति माता कूष्मांडा की उपासना की जाती है, इस बीज मंत्र से बुध ग्रह को नियंत्रित किया जा सकता है।
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पंचम बीज 'मुं' से माता दुर्गा की पंचम शक्ति मां स्कंदमाता की उपासना की जाती है, जिसके द्वारा बृहस्पति ग्रह को नियंत्रित किया जा सकता है।

षष्ठ बीज 'डा' से माता दुर्गा की षष्ठ शक्ति माता कात्यायनी की उपासना की जाती है, इस बीज द्वारा शुक्र ग्रह को नियंत्रित किया जा सकता है।
  
सप्तम बीज 'यै' माता दुर्गा की सप्तम शक्ति माता कालरात्रि की उपासना की जाती है, जिसमें शनि ग्रह को नियंत्रित करने की शक्ति समायी होती है।  
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अष्टम बीज 'वि' से माता दुर्गा की अष्टम शक्ति माता महागौरी की उपासना की जाती है, इसमें राहु ग्रह को नियंत्रित करने की शक्ति होती है। 

नवम बीज 'चै' से माता दुर्गा की नवम शक्ति माता सिद्धिदात्री की उपासना की जाती है, इस बीज द्वारा केतु ग्रह को नियंत्रित किया जा सकता है। 
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