Edited By Niyati Bhandari,Updated: 15 Oct, 2023 08:07 AM
असुरों के संहार के लिए देवताओं ने शक्ति का आह्वान किया। उसी जगत जननी शक्ति की आराधना हम आज भी नवरात्र के दौरान करते हैं। वह शक्ति जिसके बिना त्रिदेव अर्थात ब्रह्मा, विष्णु और महेश भी अपूर्ण हैं,
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
Navratri 2023 date october: असुरों के संहार के लिए देवताओं ने शक्ति का आह्वान किया। उसी जगत जननी शक्ति की आराधना हम आज भी नवरात्र के दौरान करते हैं। वह शक्ति जिसके बिना त्रिदेव अर्थात ब्रह्मा, विष्णु और महेश भी अपूर्ण हैं, उसी सम्पूर्ण शक्ति का नाम है देवी भगवती दुर्गा। आध्यात्मिक, नैतिक और सांसारिक दृष्टिकोण से नवरात्रों की बहुत महिमा है। आदिकाल से ही देव, दानव तथा मानव शक्ति प्राप्त करने के लिए मां की आराधना करते रहे हैं। मां सृष्टि का आधार व शक्ति का स्रोत हैं। बिना शक्ति के सृष्टि का कायाकल्प सम्भव ही नहीं। शक्ति के बिना शिव भी शव के समान हैं। अत: शक्ति ही सृष्टि का आधारभूत है। नवरात्रे उनमें से सर्वोत्तम मुहूर्त है।
9 forms of worship 9 रूपों की आराधना : नवरात्रों पर प्रतिदिन मां आदि शक्ति की 9 अलग-अलग स्वरूपों में पूजा की जाती है जो क्रमश: इस प्रकार हैं-शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायिनी, कालरात्रि, महागौरी तथा सिद्धिदात्री।
वर्षा ऋतु समाप्त होकर शरद ऋतु प्रारंभ हो चुकी होती है। वातावरण परिवर्तन के दौरान शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है। रोगों का प्रकोप बढ़ने लगता है। हमारे मनीषियों ने इस समस्या के समाधान के लिए शक्ति संचय का आह्वान किया।
शरीर में कम हो रही ऊर्जा को प्राकृतिक स्रोतों से ग्रहण करने का प्रयास नवरात्रों में किया जाता है। नवरात्र काल में सामूहिक रूप से उपवास एवं पूजन-अनुष्ठान करते हैं। हमारे इर्द-गिर्द तथा घर में ऊर्जा का महापुंज एकत्रित होने लगता है।
Navratri and Kanjak worship 9 forms of worship नवरात्रे और कंजक पूजन : नवरात्रों में आदि शक्ति की पूजा कंजक स्वरूप में की जाती है। मां वात्सल्य की देवी हैं। वह किसी का वैर-विरोध व पक्षपात नहीं करतीं। मां का स्वरूप स्त्री का है। कंजक स्त्री स्वरूप एवं अबोध होती है। दो वर्ष से दस वर्ष की कन्याओं को माता रानी का प्रतिबिंब जानकर भक्त उनका पूजन श्रद्धा एवं विश्वास के साथ करते हैं।