Edited By Niyati Bhandari,Updated: 14 Oct, 2020 08:45 AM
पुराणों में कथा है कि जो केवल शिव या विष्णु की उपासना करते हैं और शक्ति की पूजा नहीं करते वे शापग्रस्त हो जाते हैं। त्रिपुरोपनिषद (14) में कहा गया है कि भगवान शक्तियुक्त होकर जगत के विधाता और विश्व स्वरूप
Navratri Mahotsav: पुराणों में कथा है कि जो केवल शिव या विष्णु की उपासना करते हैं और शक्ति की पूजा नहीं करते वे शापग्रस्त हो जाते हैं। त्रिपुरोपनिषद (14) में कहा गया है कि भगवान शक्तियुक्त होकर जगत के विधाता और विश्व स्वरूप को प्राप्त होते हैं। नवरात्रों में मां आदि शक्ति की नौ स्वरूपों में पूजा की जाती है, जो क्रमश: इस प्रकार है-शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री। धर्म ग्रंथों के अनुसार कन्या पूजन से भगवती प्रसन्न होती है। जहां कुंवारी कन्या का पूजन होता है वहां मां भगवती का निवास होता है। इससे मनुष्य को लक्ष्मी, सम्मान, पृथ्वी, विद्या तथा महान तेज प्राप्त होता है।
Navdurga-Nine forms of Goddess Durga- नवरात्रि में दुर्गा पूजा के अवसर पर मां के इन नौ रूपों की पूजा-उपासना की जाती है। आइए करीब से जानें, मां के नौ रुपों को
शैलपुत्री : मां दुर्गा अपने पहले स्वरूप में शैलपुत्री के नाम से जानी जाती हैं। पर्वत राज हिमालय के यहां पुत्री के रूप में उत्पन्न होने के कारण इनका नाम शैलपुत्री पड़ा था।
ब्रह्मचारिणी : ब्रह्मचारिणी मां दुर्गा का दूसरा स्वरूप है। ब्रह्म शब्द का अर्थ है तपस्या अर्थात तप की देवी। इनके दाहिने हाथ में तप की माला, बाएं हाथ में कमंडल है।
चंद्रघंटा : मां दुर्गा की तीसरी शक्ति का यह स्वरूप परम शांतिदायक और कल्याणकारी है। उनके मस्तक का आकार अद्र्धचंद्र है। इनका ध्यान हमारे लिए इहलोक और परलोक दोनों के लिए परम कल्याणकारी है।
कूष्मांडा : मां के चौथे रूप को कूष्मांडा नाम से अभिहित किया गया है। इनकी पूजा-आराधना से आयु, यश, बल और आरोग्य की वृद्धि होती है।
स्कंदमाता : दुर्गा मां का पांचवां स्वरूप। यह स्वरूप भगवान स्कंद कुमार कार्तिकेय नाम से भी जाना जाता है। इनकी आराधना से हर क्षेत्र में सुख एवं उन्नति प्रदान होती है।
कात्यायनी : दुर्गा मां का छठा स्वरूप है जिन्हें ब्रह्मा, विष्णु, महेश ने अपने-अपने तेज का अंश देकर महिषासुर राक्षस के विनाश के लिए उत्पन्न किया। इनकी पूजा के दिन साधक का मन आज्ञाचक्र में स्थित होता है।
कालरात्रि : दुर्गा मां की सातवीं शक्ति की आराधना से साधक का मन सहस्र चक्र में स्थित होता है।
महागौरी : मां दुर्गा की आठवीं शक्ति का नाम है। इनकी पूजा सर्वविध कल्याणकारी है।
सिद्धिदात्री : मां दुर्गा की नौवीं शक्ति का नाम सिद्धिदात्री है। यह सभी प्रकार की सिद्धियों को देने वाली हैं।