एकादशी पर भूलकर भी न करें ये काम, वरना भरना पड़ सकता है भुगतान

Edited By Lata,Updated: 10 Jul, 2019 05:42 PM

never do these work on ekadashi tithi

हिंदू पंचांग में एकादशी तिथि को सबसे पवित्र माना गया है। इस दिन हर इंसान को तन-मन की पवित्रता को बनाए रखने का पूरा प्रयास करना चाहिए।

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हिंदू पंचांग में एकादशी तिथि को सबसे पवित्र माना गया है। इस दिन हर इंसान को तन-मन की पवित्रता को बनाए रखने का पूरा प्रयास करना चाहिए। यह तिथि इतनी पवित्र है कि व्यक्ति को अपने कर्म, वाणी और वचनों का भी ख्याल रखना चाहिए। इस दिन हर इंसान को व्रत करके भगवान विष्णु की आराधना करनी चाहिए और रात में जागरण करना चाहिए और हो सके तो एकादशी पर निर्जला या फलाहार ही लें तो वह ज्यादा उत्तम माना जाता है। चलिए आगे जानते हैं इस तिथि पर कौन-कौन से काम नहीं करने चाहिए। 
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जुआ खेलना
जुआ एक सामाजिक बुराई है और जो व्यक्ति जुआ खेलता है, उसका परिवार व कुटुंब भी नष्ट हो जाता है। जिस स्थान पर जुआ खेला जाता है, वहां अधर्म का राज होता है। ऐसे स्थान पर अनेक बुराइयां उत्पन्न होती हैं। इसलिए सिर्फ एकादशी पर ही नहीं बल्कि कभी भी जुआ नहीं खेलना चाहिए।

रात में सोना
शास्त्रों के अनुसार एकादशी की रात को सोना नहीं चाहिए बल्कि पूरी रात जागकर भगवान विष्णु की भक्ति करनी चाहिए। या फिर अपने सखे-संबंधों के साथ मिलकर भगवान के नाम का कीर्तन करना चाहिए।  

दातून करना
मान्यता है कि एकादशी पर दातून या मंजन नहीं करना चाहिए। क्योंकि ऐसा कहा जाता है कि जो लोग एकादशी का व्रत करते हैं उनके लिए यह व्रत दशमी तिथि से ही आंरभ हो जाता है और तभी से उन्हें हर एक चीज़ का ख्याल रखना चाहिए। 
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निंदा-चुगली करना
परनिंदा यानि दूसरों की बुराई करना। ऐसा करने से मन में दूसरों के प्रति कटु भाव आ सकते हैं। इसलिए एकादशी के दिन दूसरों की बुराई न करते हुए भगवान विष्णु का ही ध्यान करना चाहिए और इसके साथ ही चुगली करने से मान-सम्मान में कमी आ सकती है। 

चोरी और हिंसा करना
शास्त्रों में चोरी करना पाप कर्म माना गया है। चोरी करने वाला व्यक्ति परिवार व समाज में घृणा की नजरों से देखा जाता है। हिंसा केवल शरीर से ही नहीं मन से भी होती है। इससे मन में विकार आता है। इसलिए शरीर या मन किसी भी प्रकार की हिंसा इस दिन नहीं करनी चाहिए।
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स्त्रीसंग
एकादशी पर स्त्रीसंग करना भी वर्जित है क्योंकि इससे भी मन में विकार उत्पन्न होता है और ध्यान भगवान भक्ति में नहीं लगता। अतः एकादशी पर स्त्रीसंग नहीं करना चाहिए।

क्रोध
एकादशी पर क्रोध भी नहीं करना चाहिए। इससे मानसिक हिंसा होती है। अगर किसी से कोई गलती हो भी जाए तो उसे माफ कर देना चाहिए और मन को शांत रखना चाहिए। वैसे इस दिन एक बात का ख्याल रखा जा सकता है कि बहुत जरूरी हो तो ही किसी से बात करना चाहिए। कोशिश करनी चाहिए कि मन भगवान के नाम जाप में ही लगा रहे। 

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