Kundli Tv- गरुड़ पुराणः इन 10 लोगों के घर कभी न खाएं खाना

Edited By Punjab Kesari,Updated: 15 Jul, 2018 11:58 AM

never eat any of these 10 people at home

हिन्दू धर्म में भोजन करते समय उसकी सात्विकता के अलावा अच्छी भावना और अच्छे वातावरण का भी बहुत महत्व माना गया है। एक पुरानी कहावत है, ‘जैसे खाओ अन्न वैसा होगा मन’, यानि कि आप जिस तरह का भोजन खाते हैं, वैसे ही आपके सोच और विचार बनते हैं।

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हिन्दू धर्म में भोजन करते समय उसकी सात्विकता के अलावा अच्छी भावना और अच्छे वातावरण का भी बहुत महत्व माना गया है। एक पुरानी कहावत है, ‘जैसे खाओ अन्न वैसा होगा मन’, यानि कि आप जिस तरह का भोजन खाते हैं, वैसे ही आपके सोच और विचार बनते हैं। मनुष्य जिस तरह का अन्न ग्रहण करता है उसके विचार भी वैसे बन जाते हैं। इसी संबंध में गरुड़ पुराण में बताया है कि किन लोगों के घर का खाना नहीं ग्रहण करना चाहिए। तो आइए जानतें हैं- 

गरुड़ पुराण के मुताबिक कभी भी चोर या अपराधी के घर का भोजन नहीं करना चाहिए क्योंकि जो व्यक्ति उनके घर का खाना खाता है तो वह उसके पापों का भागीदार बन जाता है। 

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चरित्रहीन स्त्री यानि जो अपनी इच्छा से पूरी तरह अधार्मिक आचरण करती हो एेसी महिला के हाथों का बना भोजन ग्रहण नहीं करना चाहिए। जो व्यक्ति ऐसी स्त्री के हाथों का भोजन करते हैं, वो उसके द्वारा किए गए कार्यों का फल प्राप्त करते हैं।

जो लोग दूसरों की मजबूरी का फायदा उठाकर उन्हें कर्ज देकर अनुचित रूप से अत्यधिक ब्याज हासिल करते हैं ऐसे लोगों के घर पर भी भोजन करना ग़लत होता है। क्योंकि गलत ढंग से कमाया गया धन अच्छा नहीं होता। ऐसे धन से बना खाना भी ठीक नहीं होता है।

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अगर कोई व्यक्ति छूत की बीमारी से ग्रस्त हो तो उसके घर पर भोजन भी नहीं करना चाहिए। एेसा करने से उसके द्वारा दिया गया खाना भी आपको बीमार कर सकता है।  

शास्त्रों में बताया गया है कि क्रोध व्यक्ति का विवेक छीन लेता है। गुस्सा ही इंसान का सबसे बड़ा शत्रु माना गया है। ऐसे में क्रोधी व्यक्ति के घर का खाना खाने से आपका स्वभाव भी क्रोध वाल बन जाता है। 

किन्नरों को दान देना बहुत अच्छा माना गया है। लेकिन इनके घर का भोजन नहीं करना चाहिए। किन्नर कई तरह के लोगों से दान लेते हैं। इसलिए इनके घर का खाना नहीं खाना चाहिए। 

जो व्यक्ति निर्दयी और दुष्ट स्वभाव के होते हैं उनके घर पर भोजन नहीं करना चाहिए। एेसा करने से हमारा नेचर भी वैसा बन जाता है। 

राजा का धर्म होता है कि वह अपनी प्रजा का ध्यान रखें। गरुड़ पुराण के अनुसार अगर कोई राजा निर्दयी है और अपनी प्रजा को कष्ट देता है तो उसके यहां भी भोजन नहीं करना चाहिए। 

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जो व्यक्ति हमेशा दूसरों की निंदा और चुगली करता हो तो उसके घर का अन्न भी ग्रहण नहीं करना चाहिए। शास्त्रों में इस काम को पाप की श्रेणी में रखा गया है।

जो लोग नशीली चीजों का व्यापार और सेवन करते हैं उनके घर पर भी भोजन नहीं करना चाहिए। 

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