शिव शंकर को खुश करना है तो ध्यान दें कहीं आप भी तो नहीं कर रहे ये भूल

Edited By Jyoti,Updated: 18 Jan, 2020 12:29 PM

never offer these 7 things to lord shiva

यूं तो देवों के देव महादेव भोलेनाथ की पूजा का सबसे उत्त्म दिन सोमवार को माना जाता है। मगर भोलेनाथ के भक्तों की बात करें तो उनके लिए इनकी पूजा करने के लिए हर दिन खास है।

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यूं तो देवों के देव महादेव भोलेनाथ की पूजा का सबसे उत्त्म दिन सोमवार को माना जाता है। मगर भोलेनाथ के भक्तों की बात करें तो उनके लिए इनकी पूजा करने के लिए हर दिन खास है। यही कारण है भगवान शंकर के मंदिर में प्रत्येक दिन भीड़ देखने को मिलती है। सबसे खास बात तो ये है कि अगर भोलेनाथ के भक्त इन्हें प्रसन्न करने के लिए कोई दिन वार की इंतज़ार नहीं करते तो इनके इष्ट कैलाशी वासी शिव जी भी इन पर अपनी कृपा बरसाने में देर नहीं लगाते। लेकिन, अगर इनकी पूजा में कोई गलती हो जाए तो इनके क्रोध के शिकार भी होना पड़ता है। जी हां, कुछ लोग इन्हें खुश करने के चक्कर में इन्हें नाराज़ कर बैठते हैं। दरअसल इसका कारण होता है हमारे द्वारा पूजा के दौरान की गई कुछ गलतियां जिस कारण हमारी पूजा निष्फल हो जाती हैं।
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शिव पुराण में स्वयंभू भगवान शिव की पूजा करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना ज़रूरी है। जैसे उन्हें कौन सी चीज़ चढ़ानी कौन सी नहीं। तो आइए जानते हैं उन चीज़ें के में जिनका प्रयोग इनकी पूजा के दौरान नहीं करना चाहिए।  

तुलसी
यूं तो हिन्दू धर्म में तुलसी के पत्ते का विशेष महत्व है, सभी शुभ कार्यों में इसका प्रयोग भी जाता है। मगर भगवान शिव की पूजा में इसका इस्तेमाल करना वर्जित माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि जो लोग भूलवश भगवान शंकर की पूजा में तुलसी का इस्तेमाल कर लेते हैं उनकी पूजा पूर्ण नहीं होती। इसके विपरीत इन्हें बिल्व पत्र चढ़ानी चाहिए।

कुमकुम
क्योंकि कुमकुम सौभाग्य का प्रतीक होता है जबकि भगवान शिव वैरागी हैं। यही कारण है शिव जी को कुमकुम नहीं चढ़ना चाहिए। इसके विपरीत इन्हें चंदन अर्पित किया जाना चाहिए।
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नारियल का पानी
बता दें कुछ मान्यताओं के अनुसार शिवलिंग पर नारियल अर्पित किया जाता है परंतु इससे कभी  शिवलिंग का अभिषेक नहीं करना चाहिए। इसका कारण ये है कि नारियल को देवी लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है जिनका संबंध भगवान विष्णु से है इसलिए इसे शिव पर नहीं चढ़ाया जाता।

तिल
शिवलिंग पर तिल चढ़ाने वर्जित माने जाते हैं क्योंकि पौराणिक ग्रंथों के अनुसार इनकी भगवान विष्णु के मैल से उत्पत्ति हुई है।

अक्षत
भगवान शिव को अक्षत यानि साबूत चावल अर्पित किए जाने के बारे में शास्त्रों में लिखा है। इस बात का खास ध्यान रखना चाहिए कि कोई भी चावल का दाना टूटे नहीं क्योंकि टूटे हुए चावल का दाना अपूर्ण और अशुद्ध मना गया है।

शंख
भगवान शंकर की पूजा में शंख का इस्तेमाल करना वर्जित माना गया है। शास्त्रों में इससे जुड़ी कथा के अनुसार भगवान शिव ने शंखचूड़ नामक असुर का वध किया था, जो भगवान विष्णु का भक्त था। ऐसा कहा जाता है शंख को उसी असुर का प्रतीक माना जाता है।

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