Edited By Jyoti,Updated: 03 Jun, 2022 05:55 PM
निर्जला एकादशी का व्रत सभी एकादशियों में सबसे कठिन व उत्तम माना जाता है क्योंकि इस उपवास को किसी भी प्रकार के भोजन और पानी के बिना किया जाता है। कहते हैं अगर आप साल में निर्जला एकादशी का व्रत रख लेते हैं तो आपको
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निर्जला एकादशी का व्रत सभी एकादशियों में सबसे कठिन व उत्तम माना जाता है क्योंकि इस उपवास को किसी भी प्रकार के भोजन और पानी के बिना किया जाता है। कहते हैं अगर आप साल में निर्जला एकादशी का व्रत रख लेते हैं तो आपको सभी एकादशियों का फल मिल जाता है। बता दें, ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी की तिथि को निर्जला एकादशी के नाम से जाना जाता है। इसे भीमसेनी एकादशी भी कहा जाता है। कहते हैं महाबली भीम कोई व्रत नहीं रखते थे लेकिन उन्होंने भी इस व्रत का पालन किया था। अब आप समझ गए होंगे ये व्रत कितना शक्तिशाली है। इस व्रत को विधि पूर्वक करने वालों को विशेष पुण्य की प्राप्ति होता है। हिंदू शास्त्रों के अनुसार निर्जला एकादशी का व्रत हर इंसान को रखना चाहिए। तो आइए जानते हैं इस व्रत का शुभ मुहूर्त, पूजन विधि तथा इस व्रत को करने के नियम आदि।
सबसे पहले बात करते हैं निर्जला एकादशी के शुभ मुहूर्त की। पंचांग के अनुसार साल 2022 में एकादशी तिथि का आरंभ 10 जून सुबह 07 बजकर 25 मिनट पर होगा। और इसका समापन 11 जून 2022 प्रात: 05 बजकर 45 मिनट पर होगा। उदया तिथि के अनुसार 10 जून को निर्जला एकादशी का व्रत रखा जाएगा।
इस व्रत का पारण समय रहेगा 11 जून दोपहर 01 बजकर 44 मिनट से दोपहर 04 बजकर 32 मिनट तक।
एकादशी व्रत के अगले दिन सूर्योदय के बाद पारण किया जाता है। एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि समाप्त होने से पहले करना अति आवश्यक है। यदि द्वादशी तिथि सूर्योदय से पहले समाप्त हो गयी हो तो एकादशी व्रत का पारण सूर्योदय के बाद ही होता है। द्वादशी तिथि के भीतर पारण न करना पाप करने के समान होता है।
यहां जानें इस व्रत की पूजन विधि-
एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं। घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें। भगवान विष्णु का गंगा जल से अभिषेक करें। फिर भगवान विष्णु को पुष्प और तुलसी दल अर्पित करें। इसके बाद व्रती व्रत का संकल्प लें। पीले कपड़े पहनकर भगवान विष्णु की प्रतिमा के समक्ष घी का दीपक जलाएं। इसके बाद भगवान को भोग लगाएं। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है। भगवान विष्णु के भोग में तुलसी को जरूर शामिल करें। इस पावन दिन भगवान विष्णु के साथ ही माता लक्ष्मी की पूजा भी करें। इस दिन भगवान का अधिक से अधिक ध्यान करें। निर्जला एकादशी के व्रत में जल और अन्न ग्रहण नहीं किया जाता है। इसके अलावा व्रत के नियमों को पालन किया जाता है। जो कोई निर्जला एकादशी का व्रत रखते हैं वे इस दिन भगवान विष्णु की विधिवत पूजा-अर्चना करके व्रत कथा का पाठ करते हैं या सुनते हैं।