Edited By Jyoti,Updated: 10 Aug, 2022 01:10 PM
जंगल में एक लोमड़ी रहती थी। उसकी लंबी पूंछ थी जिस पर घने बाल थे। लोमड़ी को अपनी इस पूंछ पर बड़ा घमंड था, हमेशा अपनी पूंछ लहराती हुई चलती थी। यदि किसी छोटे जानवर को उसकी पूंछ लग जाती तो वह चिल्लाकर कहती, "देखकर नहीं चल सकता क्या, मेरी प्यारी पूंछ...
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जंगल में एक लोमड़ी रहती थी। उसकी लंबी पूंछ थी जिस पर घने बाल थे। लोमड़ी को अपनी इस पूंछ पर बड़ा घमंड था, हमेशा अपनी पूंछ लहराती हुई चलती थी। यदि किसी छोटे जानवर को उसकी पूंछ लग जाती तो वह चिल्लाकर कहती, "देखकर नहीं चल सकता क्या, मेरी प्यारी पूंछ खराब हो जाएगी।"
एक बार इसी तरह वह पूंछ को हिला-हिला कर चल रही थी तभी उसकी पूंछ कही अटक गई। उसने पीछे मुड़कर देखा तो शिकारी ने वहां जाल बिछाया हुआ था। उसकी पूंछ जाल में फंस गई थी।
लोमड़ी ने धीरे से खींच कर पूंछ निकालनी चाही लेकिन कसाव ज्यादा था। वह काफी देर तक कोशिश करती रही लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। तभी उसने शिकारी के कदमों की आवाज सुनी।
"ओह, शिकारी आ रहा है। हे भगवान मेरी रक्षा करो।" वह बोली।
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उसने एक आखिरी कोशिश की ओर जोर से अपने शरीर को खींचा। एक तीखा दर्द हुआ और वह आजाद हो गई। पीछे मुड़ कर देखे बिना वह दौड़ गई। इस दौड़-भाग में उसने ध्यान नहीं दिया कि उसकी पूंछ, जिस पर उसे बड़ा घमंड था, गायब थी। थोड़ी दूर गई तो सभी जानवर उसे देखकर हंसने लगे। बिना पूंछ की लोमड़ी उन्होंने पहले कभी नहीं देखी थी।
तब लोमड़ी को पता चला कि उसकी पूंछ जाल में अटक कर कट गई थी।
दूसरे पर जब आप हंसते हैं तो कितना बुरा लगता है, इसका एहसास उसे आज पहली बार हुआ था। जानवर खुश थे कि अब लोमड़ी अपनी पूंछ के कारण उन्हें कभी नहीं सताएगी।