जब एक महात्मा की हत्या करने आए लोगों को हुआ अपनी गलती का अहसास

Edited By Lata,Updated: 20 Feb, 2020 03:09 PM

niti shastra

महिलाओं और अछूतों के लिए खोले गए स्कूल से महात्मा ज्योतिबा फुले की ख्याति दिन दूनी-रात चौगुनी बढ़ रही थी

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महिलाओं और अछूतों के लिए खोले गए स्कूल से महात्मा ज्योतिबा फुले की ख्याति दिन दूनी-रात चौगुनी बढ़ रही थी मगर तब ऐसे कई थे, जिन्हें ज्योतिबा का यह काम पसंद नहीं आ रहा था। इससे बौखलाए कुछ लोगों ने आखिरकार उनकी हत्या करने की योजना बना ली। वारदात को अंजाम देने के लिए घोंडीराम और रौद्रे नाम के 2 शूद्रों को तैयार किया गया। हत्या का सौदा एक-एक हजार रुपए में हुआ।
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फिर एक रात घोंडीराम और रौद्रे हाथ में चाकू लिए ज्योतिबा फुले के घर में दाखिल हुए। उन दोनों की आहट से ज्योतिबा की नींद टूट गई। आंख मलते हुए उन्होंने देखा कि उनके सामने हथियार लिए 2 नौजवान खड़े हैं। फुले ने उनसे बड़ी सहजता से पूछा कि वे कौन हैं और क्या चाहते हैं? अपना नाम बताते हुए घोंडीराम ने कहा कि वे उनकी जान लेना चाहते हैं। फुले ने कहा, ''मेरी जान लेने से आपको कुछ लाभ नहीं होगा क्योंकि घर में फूटी कौड़ी नहीं है।
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घोंडीराम बोला, ''आपको मारा तो हमें एक-एक हजार रुपए मिलेंगे। ज्योतिबा फुले ने कहा, ''मेरी जान लेने से अगर तुम्हें इतने रुपए मिलते हैं तो बेशक मेरी जान ले लो, क्योंकि मेरा तो जीवन ही अछूतों के कल्याण के लिए है। यह कहकर उन्होंने अपनी गर्दन उन दोनों के सामने झुका दी। उनकी यह उदारता देखकर दोनों को अपनी गलती का अहसास हो गया। उनके हाथ कांपने लगे और वे ज्योतिबा फुले के चरणों में गिर कर क्षमा मांगने लगे। महात्मा ज्योतिबा फुले ने उन्हें क्षमा कर दिया। उनमें से एक आगे चलकर ज्योतिबा फुले का अंगरक्षक बना तथा दूसरा सत्य शोधक समाज का प्रबल समर्थक।

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