Edited By Niyati Bhandari,Updated: 18 Jun, 2018 04:25 PM
महर्षि दयानंद सरस्वती अपने प्रमुख ग्रंथ ‘सत्यार्थ प्रकाश’ के चतुर्थ समुल्लास में लिखते हैं, ‘‘प्रत्येक मनुष्य का परम कर्तव्य है कि वह अपने माता-पिता आदि की सेवा बड़े यत्न से करे।’’
ये नहीं देखा तो क्या देखा (देखें VIDEO)
महर्षि दयानंद सरस्वती अपने प्रमुख ग्रंथ ‘सत्यार्थ प्रकाश’ के चतुर्थ समुल्लास में लिखते हैं, ‘‘प्रत्येक मनुष्य का परम कर्तव्य है कि वह अपने माता-पिता आदि की सेवा बड़े यत्न से करे।’’
अगर जीवित रहते मां-बाप को सुख न दिया तो मरने के पश्चात् गंगा आदि में भस्मी प्रवाहित करना स्वयं को मूर्ख बनाना मात्र है। किसी ने इस हालात पर टिप्पणी की है :
‘जियत पिता से दंगम दंगा, मरे पिता पहुंचाए गंगा।’
यदि आप जीवन में संतोष तथा उन्नति चाहते हैं तो यह माता-पिता आदि के भरपूर हृदय से निकले आशीर्वाद के बिना संभव नहीं है।
आज अनेकानेक कारणों से माता-पिता को अपना बुढ़ापा विभिन्न स्थिति में, एकांकी काटना पड़ रहा है। इसीलिए वृद्धाश्रमों की संख्या बढ़ रही है। सारा जीवन, सारी इच्छाएं, उमंगें बच्चों के भविष्य पर कुर्बान कर देने के पश्चात् जब वे अपने को दीन-हीन आश्रित अवस्था में पाते हैं तो अपने जीवन को अभिशप्त समझते हैं। वे एकाएक यह समझने में असमर्थ हो जाते हैं कि वे इस संसार में क्यों हैं? उनकी सार्थकता क्या है? इससे दुखद स्थिति कोई नहीं हो सकती।
संयम, प्यार, उल्लास, सम्मान, आत्मीयता से भरा व्यवहार पितरों की आत्मा को तृप्त करता है। यही उनकी अपेक्षा है। वे आयु बढऩे के साथ कुछ-कुछ बालक सदृश होते चले जाते हैं, इस मन:स्थिति को ध्यान में रखना होगा।
वेद में कहा है :
यदापिपेष मातरं पुत्र: प्रमुदितो धयन्।
एतत्तदग्ने अनृणो भवाम्यहतौ पितरौ मया।
सम्पृच स्थ सं मा भद्रेण पृङ्क्त।
विपृच स्थवि मा पाप्मना पृङ्क्त। यजु.19.11
जैसे माता-पिता पुत्र को पालते हैं, वैसे पुत्र को माता-पिता की सेवा करनी चाहिए। सबको इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि हम माता-पिता की सेवा करके पितृऋण से मुक्त हों। जो व्यक्ति माता-पिता के जीवनकाल में उन्हें सुख देते हैं, उन्हें श्राद्ध जैसा कर्म करने की भी अवश्यकता नहीं रहती। जैसे विद्वान धार्मिक माता-पिता अपनी संतानों को पापाचरण से हटाकर धर्माचरण में लगाएं, वैसे संतान भी अपने माता-पिता के प्रति ऐसा बर्ताव करे।
यहां रखेंगे तिजोरी तो खुलेंगे किस्मत के दरवाजे (देखें VIDEO)