Nityananda Trayodashi 2020: जानिए, कौन हैं नित्यानंद प्रभु और क्या है इस दिन की महत्वता ?

Edited By Lata,Updated: 07 Feb, 2020 11:00 AM

nityananda trayodashi 2020

हिंदू शास्त्रों के अनुसार माघ मास की त्रयोदशी तिथि को नित्यानंद प्रभु का अविर्भाव यानि जन्म हुआ था

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हिंदू शास्त्रों के अनुसार माघ मास की त्रयोदशी तिथि को नित्यानंद प्रभु का अविर्भाव यानि जन्म हुआ था और ये खास दिन आज यानि 07 फरवरी 2020 को मनाया जा रहा है। बहुत से लोगों को नित्यानंद प्रभु के बारे में जानकारी नहीं होगी, तो आपको बता दें कि कलयुग में गौरांग महाप्रभु, जिन्हें चैतन्य महाप्रभु के नाम से भी जाना जाता है, उन्होंने अवतार लिया था, जोकि भगवान कृष्ण का ही अवतार माना जाता है और उसी के साथ ही उनके भाई बलराम ने भी उनके साथ अवतार लिया था, जिसका नाम नित्यानंद था। इस बात की पुष्टि बहुत से ग्रंथों में पढ़ने को मिलती है। कलयुग में लोगों तक भगवान कृष्ण के नाम का प्रचार करने के लिए उन्होंने ये अवतार लिया था और उन्होंने ने अपना जीवन भगवान का स्मरण व उनके नाम का प्रचार करने में ही व्यतीत किया था। चलिए आगे जानते हैं उनके बारे में विस्तार से-
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एक हरि भक्त जिनका नाम नरोत्तम दास ठाकुर है, उनके संदर्भ में कहते हैं कि, "यदि आप भगवद्धाम में श्री श्री राधा-कृष्ण के संग के लिए व्याकुल हैं, तो सर्वोत्तम युक्ति यह है कि आप श्री नित्यानद प्रभु का आश्रय लें।"
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वे आगे कहते हैं, "से सम्बन्ध नाही जार, बृथा जन्म गेलो तार : 
जो श्री नित्यानंद प्रभु के संपर्क में आने से वंचित रहा है उसने अपना बहुमूल्य जीवन ऐसे ही व्यर्थ गंवा दिया है।" 
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बृथा जन्म गेलो, बृथा अर्थात शून्य, तथा जन्म अर्थात जीवन। गेलो तार अर्थात व्यर्थ।
नित्यानंद, नाम ही सूचक है, नित्य अर्थात शाश्वत, आनंद अर्थात सुख। भौतिक सुख शाश्वत नहीं होता, यही अंतर है। इसलिए जो बुद्धिमान हैं वे इस भौतिक संसार के क्षणिक सुख में रूचि नहीं लेते। जीवात्मा होने के नाते हम सभी सुख की खोज में हैं, परन्तु जो सुख हम खोज रहे हैं वह क्षणिक है, अस्थायी है, यह सुख नहीं है। वास्तविक सुख है नित्यानंद, शाश्वत सुख। अतएव जो नित्यानंद के संपर्क में नहीं है, उसके लिए ऐसा समझना चाहिए कि उसका जीवन व्यर्थ है ।

से सम्बन्ध नाही जार, बृथा जन्म गेलो तार। सेइ पशु बोड़ो दुराचार ॥
नरोत्तम दास ठाकुर बहुत ही कठोर शब्द का प्रयोग करते हैं। वे कहते हैं ऐसा मनुष्य, एक पशु, अनियंत्रित पशु के समान है। जैसे कुछ पशु होते हैं जो वश में नहीं किये जा सकते, तो जो श्री नित्यानदं प्रभु के संपर्क में नहीं आया है उसे जंगली पशु के समान समझना चाहिए। 
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"विद्या-कुले की कोरिबे तार – 
"उस क्षुद्र व्यक्ति को यह नहीं पता कि उसकी शिक्षा, परिवार, संस्कार तथा राष्ट्रीयता क्या सहायता कर पाएंगे ?" ये सब कोई सहायता नहीं कर पाएंगे ? ये सब अनित्य हैं। यदि आपको शाश्वत सुख चाहिए तो श्री नित्यानंद प्रभु से सम्बन्ध स्थापित कीजिए।

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