अनमोल वचन: अच्छी पुस्तकें और सच्चे दिल हर कोई नहीं पढ़ सकता

Edited By Punjab Kesari,Updated: 08 Jan, 2018 02:13 PM

not everyone can read good books and true hearts

हमेशा अच्छा करो और अच्छा करने से अपने आपको कभी मत रोको, फिर चाहे उसके लिए उस समय आपकी प्रशंसा हो या न हो।

हमेशा अच्छा करो और अच्छा करने से अपने आपको कभी मत रोको, फिर चाहे उसके लिए उस समय आपकी प्रशंसा हो या न हो।

 

इंसान ख्वाहिशें से बंधा एक जिद्दी परिंदा है जो उम्मीदों से ही घायल है और उम्मीदों पर ही जिंदा है।

 

हर किसी को उतनी ही जगह दो दिल में जितनी वह तुम्हें देता है वरना या तो खुद रोओगे या वह तुम्हें रुलाएगा।

 

जैसे सूर्योदय के होते ही अंधकार दूर हो जाता है वैसे ही मन की प्रसन्नता से सारी बाधाएं शांत हो जाती हैं।

 

सच कहने से कभी न डरो चाहे किसी को अच्छा लगे या न लगे।

 

आत्मविश्वास में वह शक्ति है जो असंभव कार्य को भी संभव कर दिखाती है।

 

इस बात में भी कितनी गहराई है, दुनिया में सिर्फ ‘मैं’ की लड़ाई है।

 

अच्छी पुस्तकें और सच्चे दिल हर कोई नहीं पढ़ सकता।

 

खुद को खराब कहने की हिम्मत नहीं है इसीलिए तो लोग कहते हैं ‘जमाना खराब है’।

 

इतने खुश रहो कि आपको देख दूसरे भी खुश हो जाएं।

 

एक आईना कुछ ऐसा बना दो जो चेहरा नहीं, नीयत दिखा दे।


विश्वास, वचन, रिश्ते और हृदय, इनके टूटने की आवाज नहीं होती लेकिन आदमी जरूर टूट जाता है।


जैसा मन हो वैसा मंजर होता है, मौसम तो इंसान के अंदर होता है।


लफ्ज ही तो होते हैं इंसान का आईना, सूरत का क्या है वह उम्र और हालात से बदल ही जाती है। —जगजीत सिंह भाटिया, नूरपुरबेदी रोपड़

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