Daily घर के मंदिर में अर्पित करें फूल, मिलेंगे ढेरों लाभ

Edited By Punjab Kesari,Updated: 13 Jun, 2017 11:45 AM

offer flowers in the temple of the house

प्राचीनकाल से देवी-देवताओं के श्रृंगार, आरती, व्रत, उपवास और त्यौहारों में फूलों का उपयोग किया जा रहा है। फूलों के अभाव में

प्राचीनकाल से देवी-देवताओं के श्रृंगार, आरती, व्रत, उपवास और त्यौहारों में फूलों का उपयोग किया जा रहा है। फूलों के अभाव में कोई भी धार्मिक, अनुष्ठान, संस्कार व सामाजिक कार्य अधूरा होता है। प्रात:काल स्नानादि के बाद ही देवताओं पर चढ़ाने के लिए पुष्प तोड़े या चयन करें। ऐसा करने पर भगवान प्रसन्न होते हैं। बिना नहाए पूजा के लिए फूल कभी न तोड़ें। प्रतिदिन जिस घर के मंदिर में फूल अर्पित किए जाते हैं, वहां से नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव सदा के लिए नष्ट हो जाता है। फूलों की खुशबू से वातावरण में सकारात्मकता आती है।


वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर में रंग-बिरंगे फूल लगाना बहुत सारे वास्तु दोषों का नाश करता है और खुशहाली का माहौल बनाता है। घर के अगले भाग में ब्रह्म कमल, गुड़हल, चांदनी, मीठा नीम आदि के पौधे रोपित करने से वास्तुदोष समाप्त होता है। इसके अतिरिक्त पारिजाद, मोगरा, गेंदा व सेवंती के फूलों को भी घर में सजाएं।


भगवान को ताजे, बिना मुरझाए तथा बिना कीडों के खाए हुए फूल डंठलों सहित चढ़ाने चाहिए। फूलों को देव मूर्ति की तरफ करके उन्हें उल्टा अर्पित करें। बेल का पत्ता भी उल्टा अर्पण करें। बेल एवं दूर्वा का अग्रभाग अपनी ओर होना चाहिए। उसे मूर्ति की तरफ न करें। तुलसी पत्र मंजरी के साथ होना चाहिए। मुरझाए, पुराने या बासे फूल नहीं चढ़ाएं।

 
माली के पास रखे फूल पुराने या बासे नहीं होते। फूल खरीदते समय बस यह ध्यान रखें की फूल गले न हों। भगवान को फूल चढ़ाते समय अंगूठा, मध्यमा एवं अनामिका उंगली का प्रयोग करना चाहिए। कनिष्ठा उंगली का प्रयोग नहीं करना चाहिए। चतुर्थी के दिन दूर्वा, एकादशी के दिन तुलसी तथा प्रदोष के दिन बेल के पत्र आदि नहीं तोडने चाहिए। कुछ विशेष परिस्थितियों में इन दिनों पत्र तोड़ने पड़ें तो उन पेड़ों से माफी मांगकर एवं प्रार्थना करके तोड़ें।


पुराणों के अनुसार, देवी-देवता रत्न, सुवर्ण, भूरि, द्रव्य, व्रत, तपस्या या अन्य किसी वस्तु से उतने प्रसन्न नहीं होते, जितने फूलों अथवा पुष्पों को अर्पित करने से होते हैं। 
शास्त्रों की नजर से जानें, पुष्प क्यों हैं इतने महत्वपूर्ण पुण्य संवर्धनाच्चापि पापौघपरिहारत। पुष्कलार्थप्रदानार्थ पुष्पमित्यभिधीयते।।

अर्थात- पुण्यों को अर्जित करने, पापों को कम करने और फलों को देने से ये पुष्प या फूल कहलाते हैं।


धर्मग्रंथों के अनुसार, दैवस्य मस्तकं कुर्यात्कुसुमोपहितं सदा।
अर्थात-
देवताओं के मस्तक सदा फूलों से शोभायमान रहने चाहिए।
 

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