Edited By Punjab Kesari,Updated: 07 Nov, 2017 12:53 PM
आज कल प्रतिस्पर्धा का जमाना है। लोग अपनी व्यापार में आगे बढ़ने के लिए जी जान से मेहनत करते हैं। आजीविका कमाने, अपनी महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने और व्यवसाय में सफलता प्राप्त करने के लिए लोग उत्पादक समय का एक बड़ा हिस्सा काम में व्यतीत करते हैं।
आज कल प्रतिस्पर्धा का जमाना है। लोग अपनी व्यापार में आगे बढ़ने के लिए जी जान से मेहनत करते हैं। आजीविका कमाने, अपनी महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने और व्यवसाय में सफलता प्राप्त करने के लिए लोग उत्पादक समय का एक बड़ा हिस्सा काम में व्यतीत करते हैं। जिसके लिए लोग ऑफिस तथा दुकान आदि का निर्माण करते हैं। लेकिन आॅफिस का निर्माण इस तरह से करना चाहिए कि सकारात्मक ऊर्जा का भरपूर प्रभाव बना रहे ताकि धन-लाभ का आनंद लिया जा सकता है। इसके लिए हमें कुछ ज्यादा करने की जरूरत नहीं है केवल वास्तु के कुछ नियमों के पालन से ही ऑफिस की नकारात्मक ऊर्जा को दूर किया जा सकता है।
*अपने कार्यलय या आॅफिस के बाहर खूबसूरत साइनबोर्ड अवश्य लगाएं, जो लोगों को अच्छी तरह से दिखाई दे सके। इससे अाॅफिस की प्रसिद्धि बढ़ती है।
*वास्तु शास्त्र के अनुसार ऑफिस का मुख्य द्वार पूर्व या उत्तर दिशा की तरफ होना चाहिए। यह दिशा ऑफिस के मुख्य द्वार के लिए शुभ मानी जाती है।
*आॅफिस में बेैठने वाली कुर्सी को सदैव ऊंचा रखना चाहिए और कुर्सी लोहे या एल्युमिनियम की बिलकपल न हो। इस से हानि का सामना करना पड़ता है।
*संगमरमर, लकड़ी को हरे रंग की कुर्सी पर बैठकर व्यापार करने से धन लाभ होता है।
*वास्तु शास्त्र के अनुसार ऑफिस का भंडार घर दक्षिण-पूर्व दिशा में बनाना उचित होता है।
*वास्तु के अनुसार ऑफिस का शौचालय उत्तर-पूर्व और उत्तर-पश्चिम दिशा में बनान उचित नहीं माना जाता।
*ऑफिस के मीटिंग वाले कमरे में दो से ज्यादा दरवाजे होना भी शुभ नहीं होता।
*ऑफिस में खिड़की की तरफ पीठ करके नहीं बैठना चाहिए और साथ ही दीवार से करीब 6 इंच हटाकर फर्नीचर रखें।
*अपने आॅफिस के बाहर कभी भी जूते, चप्पल न उतारें क्योंकि मुख्य द्वार के दोनों तरफ धात्री और विधात्री का वास होता है। ऊपर गणेश जी का और नीचे श्री देहली का निवास माना जाता है। अत: जूते चप्पल दीवार के किसी किनारे अलमारी में रखनी चाहिए।
*आॅफिस का आकार वर्गाकार या आयातकार ही होना चाहिए। आॅफिस के सभी कैबिनों के दरवाजे अंदर की तरफ ही खुलने चाहिए।