Edited By ,Updated: 07 Feb, 2017 10:25 AM
हर महीने आने वाली एकादशी का अपना-अपना महत्व है। ये व्रतधारी के शरीर और मन को शुद्ध कर देती है।
हर महीने आने वाली एकादशी का अपना-अपना महत्व है। ये व्रतधारी के शरीर और मन को शुद्ध कर देती है। माघ माह में आने वाली एकादशी जया एकादशी के नाम से जानी जाती है। इस व्रत के प्रभाव से व्यक्ति भूत-पिशाच जैसी योनियों से सदा के लिए मुक्ति पा लेता है। ज्योतिष के जानकर कहते हैं की ये पाप नाश और मुक्ति पाने का सर्वोत्तम दिन है। तन-मन में शुद्धता का संचार होता है। जो भक्त इस दिन ठाकुर जी का ध्यान करते हैं उन्हें मिलता है मोक्ष का वरदान।
श्री श्री भक्ति विचार विष्णु जी महाराज जया एकादशी के संदर्भ में कहते हैं की ब्रह्महत्या आदि पापों से मुक्त होना या शत्रुअों पर विजय प्राप्त कर लेना शुद्ध भक्तों की भक्ति का उद्देश्य नहीं है। इतिहास कहता है कि हिरण्याक्ष व हिरण्यकश्यपु जब इस पृथ्वी पर थे, उस समय उनकी टक्कर का कोई भी योद्धा पूरे संसार में नहीं था परंतु उससे क्या भला हुआ उनका? यदि प्रह्लाद जी उनके यहां जन्म नहीं लेते तो क्या हिरण्यकश्यपु को भगवान के नित्यधाम की प्राप्ति हो पाती? दूसरी बात बाहर के शत्रु हमें उतना परेशान नहीं करते जितना कि हमारे अंदर के काम, क्रोधादि शत्रु हमारा जीना हराम करते हैं। ये अंदर के शत्रु हमें अपने माता-पिता, बूढ़े, बुजुर्ग, देश, समाज तथा भक्त भगवान की सेवा से वंचित करके भटकाते रहते हैं। यदि शत्रुअों पर विजय ही प्राप्त करनी है तो इन काम आदि शत्रुअों पर विजय प्राप्त करो जो कि एकमात्र हरिभक्ति से संभव है। भगवान का भक्त एकादशी व्रत व हरिकथा श्रवण कीर्तनादि करके भगवान के उस प्रेम को प्राप्त कर लेता है, जहां काम व क्रोध इत्यादि की बाधा तो क्या, माया की गंध भी नहीं होती। अत: भगवान का शुद्ध भक्त केवल मात्र भगवान की प्रीति के लिए ही एकादशी व्रतादि भक्ति अंगों का पालन करता है।
विद्वान अमित चड्ढा के अनुसार एकादशी चाहे कृष्ण तथा चाहे शुक्ल पक्ष की हो सदा ही पुण्य लाभ देने वाली होती है, परंतु व्रत का पारण समय के अनुसार ही किया जाना चाहिए। जया एकादशी व्रत का पारण 8 फरवरी को प्रात: 10:01 बजे से पहले किया जाना चाहिए।