यहां हरियाली तीज पर बांके-बिहारी झूलते हैं झूला, जानिए इससे जुड़ी परंपरा

Edited By Jyoti,Updated: 03 Aug, 2019 02:03 PM

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जैसे कि सब जानते हैं कि आज यानि 3 अगस्त को देश के विभिन्न हिस्सों में हरियाली का त्यौहार मनाया जा रहा है। देश के ऐसे बहुत से हिस्से हैं जहां इस त्यौहार को बहुत ही धूम-धाम से मनाया जाता है।

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जैसे कि सब जानते हैं कि आज यानि 3 अगस्त को देश के विभिन्न हिस्सों में हरियाली तीज का त्यौहार मनाया जा रहा है। देश के ऐसे बहुत से हिस्से हैं जहां इस त्यौहार को बहुत ही धूम-धाम से मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं पति की लंबी उम्र व तरक्की के लिए व्रत के साथ-साथ पूजा पाठ भी करती हैं। बताया जाता है हरियाली तीज का ये त्यौहार हर साल ब्रज के बांके-बिहारी मंदिर में भी मनाया जाता है। दूर-दूर से लोग यहां बांके-बिहारी के दर्शन के साथ-साथ यहां की हरियाली तीज का भी लुत्फ़ उठाने आते हैं। तो अगर आप भी इस बार यहां जा रहे हैं तो इससे जुड़ी कुछ बातें ज़रूर जान लें-
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आज यानि शनिवार को सुबह 7.45 से दोपहर 2 बजे तथा शाम को 5 से रात 11 बजे बांक बिहारी अपने भक्तों को दर्शन देंगे।

हरियाली तीज पर ठाकुरजी को झूला झुलाने की परंपरा
शिव शंकर के साथ-साथ श्रीकृष्ण का भी सावन सबसे प्रिय महीना है, जिसमें वे सखी-सहेलियों के साथ झूला झूलते हैं। प्राचीन समय से ये परंपरा ब्रज के मंदिरों में चली आ रही है। बता दें ब्रज के मंदिरों में ठाकुर जी को झुलाने के इस उत्सव को ही हिंडोला उत्सव कहा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार 500 साल पहले संगीत शिरोमणि स्वामी हरिदास बिहारीजी को फूल-पत्ती व कपड़े आदि से निर्मित झूले में झूला झुलाते थे। आज के समय में भक्त इन्हें सोने-चांदी से बने भव्य हिंडोले में झूला झुलाते हैं। बताया जाता है बांके बिहारी के इस झूले जैसा झूला विश्व में और कहीं नहीं है। सोने के इस हिंडोले के अलग-अलग कुल 130 भाग हैं। स्वर्ण-रजत झूले का मुख्य आकर्षक है।
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बताया जाता है ठाकुर जी के झूले का निर्माण भक्त सेठ हरगुलाल बेरीवाला ने श्रद्धालुओं के सहयोग से लाखों रुपये व्यय करके करवाया था। 15 अगस्त 1947 को जब देश आज़ाद हुआ तो उस दिन हरियाली तीज थी और इसी दिन पहली बार ठाकुर जी इस हिंडोले में विराजमान हुए थे।

हरियाली तीज के इस खास मौके पर शनिवार को बांकेबिहारी स्वर्ण-रजत हिंडोले में बैठ झूलेंगे। आराध्य के चारों ओर ब्रजगोपियां उनकी सेवा में समर्पित नज़र आएंगी। मंदिर में सावन की मल्हार के साथ होली के पदों का गायन भी होगा। ऐसे विलक्षण पलों का साक्षी बनने को देश दुनिया में बसे बांकेबिहारी के भक्त आराध्य की एक झलक पाने को वृंदावन पहुंच रहे हैं। श्रद्धालुओं की सुविधा और सुरक्षा के लिए मंदिर प्रबंधन के साथ जिला प्रशासन ने पुख्ता इंतजाम किए हैं।

मंदिर के प्रबंधक के मुताबिक हरियाली तीज के दिन श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए दो घंटे सुबह और दो घंटे शाम को दर्शन का समय बढ़ाया गया है। सुबह 7.45 बजे दर्शन खुलेंगे तो 2 बजे पट बंद होंगे। इसी तरह शाम को 5 बजे से रात 11 बजे तक भक्तों को हिंडोला उत्सव के दर्शन होंगे।
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ऐसे होगी श्रद्धालुओं की एंट्री
श्रद्धालुओं को वन-वे रास्ते से निकाला जाएगा। पुलिस चौकी की ओर से आने वाले श्रद्धालुओं को गेट संख्या 3 से दाऊजी तिराहा और वीआईपी मार्ग से आने वाले श्रद्धालु गेट संख्या 2 से प्रवेश करेंगे। सभी श्रद्धालुओं को गेट संख्या 4 से बाहर निकाला जाएगा। गेट संख्या 5 सेवायतों के लिए आरक्षित होगा और गेट संख्या 1 को आपातकालीन सेवा के लिए आरक्षित रखा जाएगा। बैरीकेडिंग से गुजरकर ही श्रद्धालु मंदिर में प्रवेश पाएंगे।

मंदिर में कीमती सामान न लाने की अपील
मंदिर प्रबंधन के द्वारा श्रद्धालुओं को कीमती सामान और आभूषण पहनकर न आने की अपील की है। साथ ही बच्चों व वृद्धों की जेब में घर का पता व फोन नंबर की पर्ची रखने की सलाह दी है।
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