नवरात्रि के चौथे दिन करें मां कूष्मांडा की पूजा, यश व धन की होगी भरमार

Edited By ,Updated: 31 Jan, 2017 09:20 AM

on the fourth day of the navratri worship maa kushmanda

नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि के चौथे दिन मां दुर्गा के चौथे स्वरूप माता कूष्मांडा की पूजा की जाती है। माना जाता है कि जब चारों तरफ अंधेरा

नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि के चौथे दिन मां दुर्गा के चौथे स्वरूप माता कूष्मांडा की पूजा की जाती है। माना जाता है कि जब चारों तरफ अंधेरा था तब मां कूष्मांडा देवी ने ही ब्रह्मांड की रचना की थी। इसलिए इन्हें सृष्टि की आदि स्वरूपा व आदिशक्ति भी कहते हैं। मां कूष्मांडा का वाहन शेर है। देवी की आठ भुजाएं हैं इसलिए इन्हें अष्टभुजा भी कहा जाता हैं। इनके सात हाथों में कमंडल, धनुष, बाण, कमल-पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र तथा गदा हैं।

 

मां कूष्मांडा के आठवें हाथ में जप माला है। कूष्मांडा को संस्कृत भाषा में कुम्हड़ कहा जाता है। बलियों में मां को कुम्हड़े की बलि सर्वाधिक प्रिय है। ये भी एक कारण है जिससे मां कूष्मांडा कहलाती है। देवी सूर्यमंडल के भीतर लोक में निवास करती हैं। यहां वास करने की क्षमता केवल मां कूष्मांडा में ही है। मां की पूजा करने से भक्तों के सारे दुख दर्द दूर हो जाते हैं। मां की भक्ति से आयु, यश, बल और धन की प्राप्ति होती है। नवरात्रि के चौथे दिन इस मंत्र का जाप करने से मां कूष्मांडा प्रसन्न होकर भक्तों पर अपनी कृपा दृष्टि बनाकर रखती है। 

 

या देवी सर्वभूतेषु माँ कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

 

इस दिन हो सके तो बड़े माथे वाली तेजस्वी विवाहित महिला की पूजा कर उसे भोजन में दही, हलवा खिलाएं। इसके बाद फल, सूखे मेवे और सौभाग्य का सामान दें। इससे मां कूष्मांडा प्रसन्न होती है अौर भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण होती है। 
 

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