इस पितृ पक्ष लगाना न भूलें पंचबली भोग वरना अतृप्त रह जाएगी पितरों की आत्मा

Edited By Jyoti,Updated: 12 Sep, 2019 04:21 PM

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जैसे कि हमने आपको पितृ पक्ष को उतना ही खास माना जाता है जितना हिंदू धर्म में आने वाले अनेक प्रकार के त्यौहारों व पर्वों को माना जाता है।

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जैसे कि हमने आपको पितृ पक्ष को उतना ही खास माना जाता है जितना हिंदू धर्म में आने वाले अनेक प्रकार के त्यौहारों व पर्वों को माना जाता है। इस दौरान अपने पूर्वजों व पितरों की तृप्ति के लिए श्राद्ध आदि कार्यों को अंजाम दिया जाता है। मगर इसके अलावा 15 दिनो में पंचाली भोग भी करना अनिवार्य माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार करने से हर किसी को अपने दिवंगत पूर्वज पित्रों के लिए ये करना ही चाहिए। ऐसी मान्यता है कि पंचबली के भोग से पितरों की आत्मा तृप्त और प्रसन्न होकर अपने वंशजों को खूब स्नेह व आशीर्वाद देती है। इस साल यानि 2019 में पितृपक्ष 14 सितंबर से शुरू होकर 25 सितंबर तक रहेगा। आप में से बहुत से लोग होंगे जिन्हें पंचाली भोग के बारे में जानकारी नहीं होगी तो आइए जानते हैं क्या है पंचबली भोग है।
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शास्त्रों के अनुसार पितरों के निमित्त पंचबली (भूतयज्ञ) के माध्यम से 5 विशेष प्राणियों को श्राद्ध का भोजन करवाने का नियम है। कहा जाता है अगर पितृ पक्ष इन प्राणियों को भोजन कराया जाता है तो पितृ इनके द्वारा खाए अन्न से तृप्त हो जाते हैं।

जाने वे कौन से जीव हैं जिन्हें भोजन कराने से पितृ हो जाते हैं तृप्त-

विभिन्न योनियों में संव्याप्त जीव चेतना की तुष्टि हेतु भूतयज्ञ किया जाता है। अलग-अलग 5 केले के पत्तों या एक ही बड़ी पत्तल पर, पांच स्थानों पर भोज्य पदार्थ रखे जाते हैं। उरद- दाल की टिकिया तथा दही इसके लिए रखा जाता है, और इन्हें पांच भाग में रखकर- गाय, कुत्ता, कौआ, देवता एवं चींटी आदि को दिया जाता हैं। सभी का अलग अलग मंत्र बोलते हुए एक- एक भाग पर अक्षत छोड़कर पंचबली समर्पित की जाती है।

पंचबली
1- गौ बली अर्थात- पहला भोग पवित्रता की प्रतीक गाय माता को खिलाएं।
मंत्र ॐ सौरभेयः सर्वहिताः, पवित्राः पुण्यराशयः।। प्रतिगृह्णन्तु में ग्रासं, गावस्त्रैलोक्यमातरः॥ इदं गोभ्यः इदं न मम्।।
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2- कुक्कुर बली अर्थात- दूसरा भोग कत्तर्व्यष्ठा के प्रतीक श्वान (कुत्ता) को खिलाएं।
मंत्र ॐ द्वौ श्वानौ श्यामशबलौ, वैवस्वतकुलोद्भवौ ।। ताभ्यामन्नं प्रदास्यामि, स्यातामेतावहिंसकौ ॥ इदं श्वभ्यां इदं न मम ॥
 

3- काक बली अर्थात- तीसरा भोग मलीनता निवारक काक (कौआ) को खिलाएं।
मंत्र ॐ ऐन्द्रवारुणवायव्या, याम्या वै नैऋर्तास्तथा ।। वायसाः प्रतिगृह्णन्तु, भुमौ पिण्डं मयोज्झतम् ।। इदं वायसेभ्यः इदं न मम ॥

4- देव बली अर्थात- चौथा भोग देवत्व संवधर्क शक्तियों के निमित्त- (यह भोग किसी छोटी कन्या या गाय माता को खिलाया जा सकता है)
मंत्र ॐ देवाः मनुष्याः पशवो वयांसि, सिद्धाः सयक्षोरगदैत्यसंघाः।। प्रेताः पिशाचास्तरवः समस्ता, ये चान्नमिच्छन्ति मया प्रदत्तम्॥ इदं अन्नं देवादिभ्यः इदं न मम्।।
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5- पिपीलिकादि बली अर्थात- पांचवां भोग श्रमनिष्ठा एवं सामूहिकता की प्रतीक चींटियों को खिलाएं।
मंत्र ॐ पिपीलिकाः कीटपतंगकाद्याः, बुभुक्षिताः कमर्निबन्धबद्धाः।। तेषां हि तृप्त्यथर्मिदं मयान्नं, तेभ्यो विसृष्टं सुखिनो भवन्तु॥ इदं अन्नं पिपीलिकादिभ्यः इदं न मम।।

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