क्या है उज्जैन की पंचकोशी यात्रा का धार्मिक महत्व ?

Edited By Jyoti,Updated: 02 Apr, 2019 06:31 PM

panchkoshi yatra of ujjain

आप में से बहुत से लोगों ने सुना होगा कि हिंदू धर्म के शास्त्रों में पंचकोसी यात्रा का धार्मिक पख से काफी महत्व है। जिन लोगों की नहीं पता उन्हें बता दें कि वैशाख मास में मुख्यरूप से महाकाल की नगरी उज्जैन से पंचकोसी यात्रा शुरु होती है।

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आप में से बहुत से लोगों ने सुना होगा कि हिंदू धर्म के शास्त्रों में पंचकोसी यात्रा का धार्मिक पख से काफी महत्व है। जिन लोगों की नहीं पता उन्हें बता दें कि वैशाख मास में मुख्यरूप से महाकाल की नगरी उज्जैन से पंचकोसी यात्रा शुरु होती है। ज्योतिष विद्वानों का मानना है कि वैशाख माह जैसा शुभ कोई अन्य मास नहीं है। सतयुग के जैसा कोई और युग नहीं, वेद के जैसा कोई अन्य धर्म शास्त्र नहीं और गंगा के समान कोई दूसरा तीर्थ नहीं।
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मान्यता है कि वैशाख में पंचकोसी यात्रा करने से और भगवान विष्णु की उपासना से अज्ञान दूर होता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आख़िर उज्जैन की पंचकोसी यात्रा का क्या धार्मिक महत्व है और इस यात्रा का वैशाख से क्या संबंध है। अगर आप भी इन बातों से अंजान है तो चलिए हम आपको बताते हैं। आगे जानिए।

हिन्दू पंचांग के अनुसार चैत्र पूर्णिमा से वैशाख महीना के शुरुआत हो जाती है। कुछ धार्मिक मान्यताओं के अनुसार वैशाख मास का महत्व कार्तिक और माघ मास के समान है। इन्हीं महीनों की ही तरह इस मास में भी जल दान और कुंभ दान का खास महत्व होता है। इतना ही नहीं बल्कि वैशाख मास स्नान का महत्व पुराणों में भी मिलता है। कहा जाता है कि जो श्रद्धालु पूरे वैशाख स्नान का लाभ नहीं ले पाते वे इसके अंतिम पांच दिनों में पूरे मास के स्नान का लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
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पंचकोसी यात्रा में सभी ज्ञात-अज्ञात देवताओं की प्रदक्षिणा का पुण्य इस पवित्र मास में मिलता है। उज्जैन की प्रसिद्ध पंचकोसी यात्रा में आने वाले देव, पिंगलेश्वर, कायावरुनेश्वर, विलवेश्वर, धुद्धेश्वर और नीलकंठेश्वर हैं।

वैशाख मास और ग्रीष्म ऋतु के आरंभ होते ही शिवालयों में गलंतिका वंदन होता है। इसी समय पंचकोसी यात्रा शुरू होती है। कहते हैं कि पंचकोसी यात्री हमेशा निर्धारित तिथि और दिन से पहले ही यात्रा पर निकाल पड़ते हैं।

परंतु ज्योतिष के जानकारों का मानना है कि तय तिथि, तय दिन और पुण्य मुहूर्त के अनुसार ही पंचकोसी यात्रा और तीर्थ स्थलों पर की गई पूजा-अर्चना करने का पुण्य प्राप्त होता है। इसके अलावा श्रद्धालु उज्जैन की नगनाथ की गली स्थित पटनी बाज़ार स्थित भगवान नागचंद्रेश्वर से लेकर 118 किलोमीटर की यात्रा करते हैं।
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