Edited By Lata,Updated: 05 Jan, 2019 12:12 PM
हिंदू पंचांग के अनुसार पौष माह में कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि को पौष अमावस्या कहते हैं। पौष माह में सूर्यदेव की उपासना का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यता के अनुसार अमावस्या तिथि के दिन कई धार्मिक कार्य किए जाते हैं। पितृ दोष और कालसर्प दोष से मुक्ति...
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हिंदू पंचांग के अनुसार पौष माह में कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि को पौष अमावस्या कहते हैं। पौष माह में सूर्यदेव की उपासना का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यता के अनुसार अमावस्या तिथि के दिन कई धार्मिक कार्य किए जाते हैं। पितृ दोष और कालसर्प दोष से मुक्ति के लिए भी इस दिन उपवास रखा जाता है। हर व्यक्ति के जीवन में समय-समय पर रोग, कष्ट व्याधि, पीड़ा व समस्याएं आती रहती हैं। कई लोग शनि के प्रभावों से पीड़ित हैं तो अगर शनिवारीय पौष अमावस्या को पूरे विधि-विधान से पीपल के नीचे शिव व शनिदेव का विधिवत पूजन किया जाए तो शनिदेव प्रसन्न होकर जीवन के सारे कष्ट हर लेते हैं। आज के दिन विशेष पूजन, मंत्र आदि करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है। आज हम आपको इससे जुड़े उपाय और मंत्र बताएंगे।
पूजन विधि: पीपल के पेड़ का विधिवत पूजन करें। पीपल के पेड़ की जड़ में दही की मीठी लस्सी चढ़ाएं, जल में तिल मिलाकर सीचें। पेड़ के नीचे तिल के तेल का दीप करें, लोहबान से धूप करें, नीले व सफ़ेद कनेर के फूल चढ़ाएं, काजल व सिंदूर चढ़ाएं, नारियल चढ़ाएं व गुड़ तिल से बनी रेवड़ियों का भोग लगाएं और पेड़ पर मौली बांधते हुए 15 परिक्रमा लगाएं।
पीपल मंत्र: ॐ तरुराजे नमः॥
शनि मंत्र: शं शनैश्चराय कर्मकृते नमः॥
उपाय
शिवलिंग पर चढ़े तिल को जलप्रवाह करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है।
शनिदेव पर लोहबान से धूप करने पर गुडलक की प्राप्ति होती है।
प्रोफेशनल सक्सेस के लिए शनि मंदिर में सिक्का चढ़ाकर जेब में रखें।
पौष अमावस्या पर पितरों को तर्पण करने का विशेष महत्व है। इस दिन नदी, जलाशय या कुंड में स्नान के बाद सूर्य देव को अर्घ्य देें। इसके बाद पितरों का तर्पण करें।
पितरों की आत्मा की शांति के लिए उपवास करें और किसी गरीब व्यक्ति को दान दें।
आज यानि अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ का पूजन करना चाहिए। तुलसी के पौधे की परिक्रमा करनी चाहिए।
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