Edited By Punjab Kesari,Updated: 01 Jan, 2018 11:42 AM
नई दिल्ली, (स.ह.): नया साल जब भी शुरू होता है तो बहुत से लोग संकल्प लेते हैं, कोई एक दिन के लिए, कोई एक हफ्ते और कोई पूरे साल के लिए संकल्प लेता है। हम सब अपनी-अपनी प्राथमिकता के आधार पर तरक्की व प्रगति के लिए संकल्प करते हैं।
नए साल पर लोग लेते हैं अच्छाई की ओर बढ़ने का संकल्प
नई दिल्ली, (स.ह.): नया साल जब भी शुरू होता है तो बहुत से लोग संकल्प लेते हैं, कोई एक दिन के लिए, कोई एक हफ्ते और कोई पूरे साल के लिए संकल्प लेता है। हम सब अपनी-अपनी प्राथमिकता के आधार पर तरक्की व प्रगति के लिए संकल्प करते हैं। कुछ लोग प्रतिदिन व्यायाम, कुछ सुबह जल्दी उठने, कई व्यावसायिक प्रगति जबकि कुछ शराब-सिगरेट छोडने का संकल्प लेते हैं। इन सभी के साथ हमें आध्यात्मिक प्रगति का भी संकल्प करना चाहिए। एक अच्छा, नेक, पवित्र और सदाचारी इंसान बनने के लिए भी प्रयत्न करना चाहिए। एक अच्छा नेक व्यक्ति बनने के लिए हमें बाहरी दुनिया में नहीं बल्कि अपने अंदर काम करना होगा, अपनी सोच को निखारना होगा।
जैसे-जैसे हमारी समझ, संस्कार व जिंदगी ढलती है वैसी ही हमारी सोच होती जाती है। सोचने योग्य यह है कि क्यों हम कुछ लोगों को पसंद नहीं करते या क्यों कुछ लोग हमें पसंद नहीं करते हैं, यह इसलिए क्योंकि हम अपने आसपास के लोगों का आकलन केवल अपनी भौतिक दृष्टि से करते हैं। हमें याद रखना चाहिए कि सब धर्मग्रंथ हमें यही समझाते हैं कि हम पिता परमेश्वर की संतान हैं। तो हम प्रभु से प्रार्थना करें कि जो हमारा दृष्टिकोण है यह सब जाति-धर्मों के लिए एक तरह का नजर आए। यह होगा कैसे? जब इंसान भजन अभ्यास करता है तो प्रभु के 2 जाति रूप हैं ज्योति और श्रुति जिसका हमें अनुभव होता है। जैसे उसका अनुभव होता है तो फिर हमें यकीन हो जाता है कि हमारे अंदर कुछ और है जो बाहर से नहीं आया। हमें जब यह अहसास हो जाएगा कि जो प्रभु की शक्ति हममें काम कर रही है वह ही दूसरे मनुष्यों में, जानवरों में और पेड़-पौधों में भी है, तब हम सबको अपना समझने लगेंगे। हमारी संवेदनशीलता औरों के प्रति बढ़ जाएगी, हमारी सोच व समझ सही मायने में बढ़ जाएगी।
जिसकी समझ सही होगी उसके विचार सही होंगे। जिसके विचार सही होंगे उसके बोल सही होंगे। जिसके बोल सही होंगे उसके कार्य सही होंगे। तो इस नववर्ष हमें अपनी सम्पूर्ण प्रगति के लिए आध्यात्मिक संकल्प भी करना चाहिए कि हम रोजाना भोजन-अभ्यास में समय दें ताकि हमारी सोच व समझ विकसित हो सके व हमें एक अच्छा, नेक, पवित्र और सदाचारी इंसान बनने में मदद मिले।