Edited By ,Updated: 07 Nov, 2016 10:50 AM
भगवद्गीता में जहां भगवान ने स्वयं को वृक्षों में पीपल बताया है, वहीं देववृक्ष माने जाने वाले पीपल को लेकर कई उपाय भी प्रसिद्ध हैं। ऐसा माना जाता है कि यदि पीपल की पूजा नियमित रूप से की जाए तो
भगवद्गीता में जहां भगवान ने स्वयं को वृक्षों में पीपल बताया है, वहीं देववृक्ष माने जाने वाले पीपल को लेकर कई उपाय भी प्रसिद्ध हैं। ऐसा माना जाता है कि यदि पीपल की पूजा नियमित रूप से की जाए तो सभी देवी-देवताओं की कृपा प्राप्त हो जाती है। पीपल में प्रतिदिन जल अर्पित करने से कुंडली के कई अशुभ माने जाने वाले ग्रह योगों का प्रभाव खत्म हो जाता है।
* शनि की साढ़ेसाती या ढैया में पीपल की पूजा शनि के कोप से बचाती है। इस पेड़ की मात्र परिक्रमा से ही कालसर्प जैसे ग्रह योग के बुरे प्रभावों से भी छुटकारा मिल जाता है।
* इसके अतिरिक्त ज्योतिष और सभी धर्म शास्त्रों के अनुसार एक पीपल पेड़ लगाने वाले व्यक्ति को जीवन में किसी भी प्रकार का कोई दुख नहीं सताता, ऐसी स्पष्ट मान्यता कई लोगों की है।
* कहते हैं कि पीपल का पेड़ लगाने के बाद उसे नियमित रूप से जल अर्पित करना चाहिए। जैसे-जैसे यह वृक्ष बड़ा होगा आपके घर-परिवार में सुख-समृद्धि बढ़ती जाएगी, धन बढ़ता जाएगा।
* यदि कोई व्यक्ति किसी पीपल वृक्ष के नीचे शिवलिंग स्थापित करता है और नियमित रूप से पूजन करता है तो उसकी सभी समस्याएं समाप्त हो जाती हैं।
* शनि दोषों से मुक्ति के लिए तो पीपल के वृक्ष के उपाय रामबाण हैं। शनि की साढ़ेसाती और ढैया के बुरे प्रभावों को नष्ट करने के लिए प्रति शनिवार पीपल के वृक्ष पर जल चढ़ाकर सात परिक्रमा करनी चाहिए। इसके साथ ही शाम के समय पीपल के वृक्ष के नीचे दीपक भी लगाना चाहिए।
* पीपल के वृक्ष के नीचे बैठकर हनुमान चालीसा का पाठ करना चमत्कारी फल प्रदान करने वाला उपाय है।
* पितृ की तृप्ति के लिए व्यक्ति को हर माह अमावस से पहले आने वाली चौदस के दिन बरगद के पेड़ या पीपल के पेड़ को दूध अर्पित करना चाहिए। इस उपाय से पितृ देवताओं की कृपा प्राप्त हो जाती है।