पितृ पक्ष 2019: पिंडदान करते समय करें ये पाठ, रूठे पूर्वज जाएंगे मान

Edited By Jyoti,Updated: 12 Sep, 2019 03:56 PM

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कल यानि 13 सितंबर को पूर्णिमा श्राद्ध मनाया जाएगा। जिसके ठीक अगले दिन से पितृ पक्ष का आरंभ होगा। हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का बहुत महत्व है। इस दौरान हर कोई अपने पूर्वजों का पिंडदान करता है।

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कल यानि 13 सितंबर को पूर्णिमा श्राद्ध मनाया जाएगा। जिसके ठीक अगले दिन से पितृ पक्ष का आरंभ होगा। हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का बहुत महत्व है। इस दौरान हर कोई अपने पूर्वजों का पिंडदान करता है। शास्त्रों में किए वर्णन के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति के लिए अपने पूर्वजों का श्राद्ध करना अनिवार्य होता है। इसी मान्यताओं व परंपराओं के चलते हिंदू धर्म से संबंध रखने वाले लगभग लोग पितृ तर्पण करते हैं। लेकिन आपको बता दें पितृ तर्पण में पिंडदान करने के अलावा कुछ ऐसे स्तोत्र भी हैं जिनका जाप करके भी आप अपने पितरों को प्रसन्न कर सकते हैं।
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गरुड़ पुराण के अनुसार पितृ पक्ष में अपने पूर्वज पितरों का श्राद्ध तर्पण पिंडदान करने के बाद पुराणों में दी गई इस पितृ आरती एवं पितृ स्तुति का पाठ श्रद्धापूर्वक करना चाहिए। गरूड़ पुराण में तो यहां तक कहा गया है कि इस पितृ स्तुति एवं आरती का पाठ करने वाली संतानों से पितृ प्रसन्न होकर अतृप्त आत्माएं तृप्त हो जाती है।

अथ पितृस्तोत्र ।।
अर्चितानाममूर्तानां पितृणां दीप्ततेजसाम्।
नमस्यामि सदा तेषां ध्यानिनां दिव्यचक्षुषाम्।।
इन्द्रादीनां च नेतारो दक्षमारीचयोस्तथा।
सप्तर्षीणां तथान्येषां तान् नमस्यामि कामदान्।।
मन्वादीनां च नेतार: सूर्याचन्दमसोस्तथा।
तान् नमस्यामहं सर्वान् पितृनप्युदधावपि।।
नक्षत्राणां ग्रहाणां च वाय्वग्न्योर्नभसस्तथा।
द्यावापृथिवोव्योश्च तथा नमस्यामि कृताञ्जलि:।।
देवर्षीणां जनितृंश्च सर्वलोकनमस्कृतान्।
अक्षय्यस्य सदा दातृन् नमस्येहं कृताञ्जलि:।।
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प्रजापते: कश्पाय सोमाय वरुणाय च।
योगेश्वरेभ्यश्च सदा नमस्यामि कृताञ्जलि:।।
नमो गणेभ्य: सप्तभ्यस्तथा लोकेषु सप्तसु।
स्वयम्भुवे नमस्यामि ब्रह्मणे योगचक्षुषे।।
सोमाधारान् पितृगणान् योगमूर्तिधरांस्तथा।
नमस्यामि तथा सोमं पितरं जगतामहम्।।
अग्रिरूपांस्तथैवान्यान् नमस्यामि पितृनहम्।
अग्रीषोममयं विश्वं यत एतदशेषत:।।
ये तु तेजसि ये चैते सोमसूर्याग्रिमूर्तय:।
जगत्स्वरूपिणश्चैव तथा ब्रह्मस्वरूपिण:।।
तेभ्योखिलेभ्यो योगिभ्य: पितृभ्यो यतामनस:।
नमो नमो नमस्तेस्तु प्रसीदन्तु स्वधाभुज।।

उपरोक्त पितृ स्तुति का पाठ करने के बाद नीचे दी गई पितृ आरती श्रद्धा पूर्वक करें।
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अथ पितृ आरती
जय जय पितर महाराज, मैं शरण पड़यों हूं थारी।
शरण पड़यो हूँ थारी बाबा, शरण पड़यो हूं थारी।।

आप ही रक्षक आप ही दाता, आप ही खेवनहारे।
मैं मूरख हूँ कछु नहिं जाणूं, आप ही हो रखवारे।।
जय जय पितर महाराज, मैं शरण पड़यों हूं थारी।।

आप खड़े हैं हरदम हर घड़ी, करने मेरी रखवारी।
हम सब जन हैं शरण आपकी, है ये अरज गुजारी।।
जय जय पितर महाराज, मैं शरण पड़यों हू थारी ।।
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देश और परदेश सब जगह, आप ही करो सहाई।
काम पड़े पर नाम आपको, लगे बहुत सुखदाई।।
जय जय पितर महाराज, मैं शरण पड़यों हूं थारी ।।

भक्त सभी हैं शरण आपकी, अपने सहित परिवार।
रक्षा करो आप ही सबकी, रटूं मैं बारम्बार।।
जय जय पितर महाराज, मैं शरण पड़यों हूं थारी।।

जय जय पितर महाराज, मैं शरण पड़यों हूं थारी।
शरण पड़यो हूं थारी बाबा, शरण पड़यो हूं थारी।।
जय जय पितर महाराज, मैं शरण पड़यों हूं थारी।

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