ये हैं वो स्थान जहां श्राद्ध करने से शत-प्रतिशत पितरों को मिलता है मोक्ष

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 24 Sep, 2019 08:36 AM

pitru paksha 2019

वैसे तो हमारे देश में श्राद्ध, पिंडदान व तर्पण के लिए कई तीर्थ हैं लेकिन उनमें से कुछ तीर्थ ऐसे भी हैं जिनका अपना अलग ही महत्व है। आज हम आपको ऐसे ही कुछ प्रसिद्ध तीर्थस्थानों के बारे में बता रहे हैं।

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वैसे तो हमारे देश में श्राद्ध, पिंडदान व तर्पण के लिए कई तीर्थ हैं लेकिन उनमें से कुछ तीर्थ ऐसे भी हैं जिनका अपना अलग ही महत्व है। आज हम आपको ऐसे ही कुछ प्रसिद्ध तीर्थस्थानों के बारे में बता रहे हैं। मान्यता है कि इन स्थानों पर श्राद्ध, पिंडदान और तर्पण करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।

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पिंडारक (गुजरात) : इस क्षेत्र का प्राचीन नाम पिंडारक या पिंडतारक है। यह जगह गुजरात में द्वारिका से लगभग 30 किलोमीटर दूरी पर है। यहां एक सरोवर है, जिसमें यात्री श्राद्ध करके दिए हुए पिंड सरोवर में डाल देते हैं। वे पिंड सरोवर में डूबते नहीं बल्कि तैरते रहते हैं। यहां कपालमोचन महादेव, मोटेश्वर महादेव और ब्रह्मा जी के मंदिर हैं। साथ ही श्रीवल्लभाचार्य महाप्रभु की बैठक भी है। कहा जाता है कि यहां महर्षि दुर्वासा का आश्रम था।

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महाभारत युद्ध के पश्चात पांडव सभी तीर्थों में अपने मृत बांधवों का श्राद्ध करने आए थे। यहां उन्होंने लोहे का एक पिंड बनाया और जब वह पिंड भी जल पर तैर गया तब उन्हें इस बात का विश्वास हुआ कि उनके बंधु-बांधव मुक्त हो गए हैं। कहते हैं कि महर्षि दुर्वासा के वरदान से इस तीर्थ में पिंड तैरते रहते हैं। पिंडारा से लगभग 15 किलोमीटर की दूरी पर भोपालका नामक स्टेशन है। भोपालका से बसों और निजी गाडिय़ों से पिंडारा पहुंचाया जा सकता है।

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इस तीर्थ की रक्षा स्वयं करते हैं ब्रह्मा जी
लोहागर (राजस्थान) :
श्राद्ध कर्म करने के लिए यूं तो अनेक तीर्थ प्रसिद्ध हैं, उन्हीं में से एक तीर्थ ऐसा भी है जिसकी रक्षा स्वयं ब्रह्मा जी करते हैं। वह तीर्थ है- लोहागर। यह राजस्थान का प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है। यह पिंडदान और अस्थि विसर्जन के लिए भी जाना जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार इस तीर्थ की रक्षा स्वयं ब्रह्मा जी करते हैं और जिस व्यक्ति का श्राद्ध यहां किया जाता है उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। यहां का मुख्य तीर्थ पर्वत से निकलने वाली सात धाराएं हैं। यहां के प्रधान देवता सूर्य हैं। पश्चिम रेलवे की एक लाइन राजस्थान में सवाई माधोपुर से लुहारू तक जाती है। इसी लाइन पर सीकर या नवलगढ़ स्टेशन पड़ता है। यही लोहागर का नजदीकी स्टेशन है। यहां से तीर्थ स्थल तक जाने के लिए आसानी से साधन मिल जाते हैं।

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