Kundli Tv- क्यों श्राद्ध में सबसे पहले अग्नि का भाग दिया जाता है?

Edited By Jyoti,Updated: 03 Oct, 2018 12:35 PM

pitru paksha

ज्योतिष और हिंदू धर्म के अनुसार 24 सितंबर से 8 अक्टूबर तक पितृ पक्ष चलेगा। इस दौरान हर कोई अपने पूर्वजों का पिंडदान करता है, ताकि उन्हें मोक्ष की प्राप्ति मिल सके।

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ज्योतिष और हिंदू धर्म के अनुसार 24 सितंबर से 8 अक्टूबर तक पितृ पक्ष चलेगा। इस दौरान हर कोई अपने पूर्वजों का पिंडदान करता है, ताकि उन्हें मोक्ष की प्राप्ति मिल सके। पौराणिक और धार्मिक ग्रंथों में कहा गया है कि जो व्यक्ति अपने पितरों का शुद्ध व सच्ची भावना से श्राद्ध करता है, उसके पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है और उनका आशीर्वाद भी प्राप्त होता है। लेकिन बहुत कम लोग जानते होंगे कि आखिर श्राद्ध की यह परंपरा कैसे और किसके द्वारा शुरू की गई।
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हिंदू धर्म का महाकाव्य महाभारत के अनुशासन पर्व में भीष्म पितामह ने युधिष्ठिर को श्राद्ध के संबंध में कई ऐसी बातें बताई हैं, जो वर्तमान समय में बहुत कम लोग जानते हैं। महाभारत में ये भी बताया गया है कि श्राद्ध कि परंपरा कैसे शुरू हुई और फिर कैसे ये धीरे-धीरे जनमानस तक पहुंची। इसके साथ ही ये भी बताएंगे कि श्राद्ध में सबसे पहला भाग अग्नि देव का क्यों निकाला जाता है। आज हम आपको श्राद्ध से संबंधित कुछ ऐसी ही रोचक बातें बताने जा रहे हैं-
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किसने शुरू की श्राद्ध की ये परंपरा-
महाभारत ग्रंथ के अनुसार, सबसे पहले श्राद्ध का उपदेश महर्षि निमि को महातपस्वी अत्रि मुनि ने दिया था। बता दें कि प्राचीनकाल में ब्रह्मा जी से महर्षि अत्रि की उत्पत्ति हुई। वे बड़े प्रतापी ऋषि थे। उनके वंश में दत्तात्रेय जी का प्रादुर्भाव हुआ। दत्तात्रेय के पुत्र निमि हुए, जो बड़े तपस्वी थे। इस प्रकार पहले निमि ने श्राद्ध का आरंभ किया, उसके बाद अन्य महर्षि भी श्राद्ध करने लगे।
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इसके बाद धीरे-धीरे चारों वर्णों के लोग श्राद्ध में पितरों को अन्न देने लगे। लगातार श्राद्ध का भोजन करते-करते देवता और पितर पूर्ण तृप्त हो गए। लगातार श्राद्ध का भोजन करने से पितरों को अजीर्ण रोग हो गया और इससे उन्हें कष्ट होने लगा। तब वे ब्रह्माजी के पास गए और उनसे कहा कि- श्राद्ध का अन्न खाते-खाते हमें अजीर्ण रोग हो गया है, इससे हमें कष्ट हो रहा है, आप हमारा कल्याण कीजिए। पितरों की बात सुनकर ब्रह्माजी बोले- अग्निदेव ही आपकी इस समस्या का हल निकाल सकते हैं, ये ही आपका कल्याण करेंगे। अग्निदेव ने पितरों से कहा। अब से श्राद्ध में हम लोग साथ ही भोजन किया करेंगे। मेरे साथ रहने से आप लोगों का अजीर्ण रोग दूर हो जाएगा। यह सुनकर देवता व पितृ प्रसन्न हुए। इसलिए श्राद्ध में सबसे पहले अग्नि का भाग निकाला जाता है।
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