Edited By Niyati Bhandari,Updated: 25 Sep, 2018 01:15 PM
श्राद्ध आने वाली संतति को अपने पूर्वजों से परिचित करवाते हैं। जिन दिवंगत आत्माओं के कारण पारिवारिक वृक्ष खड़ा है उनकी कुर्बानियों और योगदान को स्मरण करने के ये दिन होते हैं।
ये नहीं देखा तो क्या देखा (देखें Video)
श्राद्ध आने वाली संतति को अपने पूर्वजों से परिचित करवाते हैं। जिन दिवंगत आत्माओं के कारण पारिवारिक वृक्ष खड़ा है उनकी कुर्बानियों और योगदान को स्मरण करने के ये दिन होते हैं। इस अवधि में अपने बच्चों को परिवार के दिवंगत पूर्वजों के आदर्शों एवं कार्यकलापों के बारे में बताएं ताकि वे कुटुम्ब की स्वस्थ परम्पराओं का निर्वाह करें। ऐसा नहीं है कि केवल हिन्दुओं में ही मृतकों को याद करने की प्रथा है। ईसाई समाज में निधन के 40 दिनों बाद एक रस्म की जाती है जिसमें सामूहिक भोज का आयोजन होता है। इस्लाम में भी 40 दिनों बाद कब्र पर जाकर फातिहा पढऩे का रिवाज है। बौद्ध धर्म में भी ऐसे कई प्रावधान हैं।
श्राद्ध मतलब ‘श्रद्धा’। पितरों के निमित्त किया जाने वाला संस्कार है श्राद्ध। हमारी संस्कृति में प्राणी पर अपने पूर्वजों का ऋण चुकाने का दायित्व होता है जो हम श्राद्ध के रूप में पूरा करते हैं। मृत्यु के बाद पूर्वजों को श्राद्ध काल में श्रद्धासुमन अर्पित किए जाते हैं। हमारे धर्म ग्रंथों में पितृ को देवता कहा गया है जो मृत्यु के बाद भी अपनी संतानों का सौभाग्य चाहते हैं। जो लोग पितृपक्ष में श्राद्ध करते हैं, उन्हें पितृदोष से सदा के लिए मुक्ति मिल जाती है। जानें, किस दिन आएगा कौन सा श्राद्ध
25 सितंबर मंगलवार- प्रतिपदा श्राद्ध
26 सितंबर बुधवार- द्वितीय श्राद्ध
27 सितंबर गुरुवार- तृतीय श्राद्ध
28 सितंबर शुक्रवार- चतुर्थी श्राद्ध
29 सितंबर शनिवार- पंचमी श्राद्ध
30 सितंबर रविवार- षष्ठी श्राद्ध
1 अक्टूबर सोमवार- सप्तमी श्राद्ध
2 अक्टूबर मंगलवार- अष्टमी श्राद्ध
3 अक्टूबर बुधवार- नवमी श्राद्ध
4 अक्टूबर गुरुवार- दशमी श्राद्ध
5 अक्टूबर शुक्रवार- एकादशी श्राद्ध
6 अक्टूबर शनिवार- द्वादशी श्राद्ध
7 अक्टूबर रविवार- त्रयोदशी श्राद्ध चतुर्दशी श्राद्ध
8 अक्टूबर सोमवार- सर्वपितृ अमावस्या
आंखों के नीचे है कालापन तो किचन की इस चीज़ में है वास्तु दोष (देखें Video)