Kundli Tv- दुनिया में सबसे पहले इन्होंने किया था श्राद्ध

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 28 Sep, 2018 10:20 AM

pitru paksha shradh

हिन्दू धर्म में पितृपक्ष यानी श्राद्ध पक्ष का बहुत महत्व है। इन दिनों पितरों को याद किया जाता है और उनसे आशीर्वाद लिया जाता है।

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हिन्दू धर्म में पितृपक्ष यानी श्राद्ध पक्ष का बहुत महत्व है। इन दिनों पितरों को याद किया जाता है और उनसे आशीर्वाद लिया जाता है। बहुत ही कम लोगों को पता होगा कि दुनिया में सबसे पहले श्राद्ध किसने किया था। महाभारत काल में श्राद्ध के बारे में पता चलता है जिसमें भीष्म पितामाह ने युद्धिष्ठर को श्राद्ध के संबंध में कई बातें बताई हैं। साथ ही यह भी बताया गया है कि श्राद्ध की परम्परा कैसे शुरू हुई और धीरे-धीरे जनमानस तक कैसे पहुंची-
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इन्होंने दिया था सबसे पहले उपदेश : महाभारत के अनुसार सबसे पहले महातपस्वी अत्रि ने महर्षि निमि को श्राद्ध के बारे में उपदेश दिया था। इसके बाद महर्षि निमि ने श्राद्ध करना शुरू कर दिया। महर्षि को देखकर अन्य ऋषि-मुनि भी पितरों को अन्न देने लगे। लगातार श्राद्ध का भोजन करते-करते देवता और पितर पूर्ण तृप्त हो गए।
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इसलिए है अग्निदेव का महत्व : अग्निदेव ने देवताओं और पितरों को कहा कि अब से श्राद्ध में हम सभी साथ में भोजन किया करेंगे। मेरे पास रहने से आपका अजीर्ण रोग भी दूर हो जाएगा। यह सुनकर सभी प्रसन्न हो गए। इसके बाद से ही सबसे पहले श्राद्ध का भोजन अग्निदेव को दिया जाता है, उसके बाद ही देवताओं और पितरों को दिया जाता है।
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इन 3 पिंडों का है विधान : महाभारत के अनुसार श्राद्ध में 3 पिंडों का विधान है। पहला पिंड जल में दें। दूसरा पिंड गुरुजनों को दें और तीसरा पिंड अग्नि को दें। इससे मनुष्य की सभी कामनाएं पूर्ण होती हैं। पितृ पक्ष यानी श्राद्ध पक्ष हर साल भाद्रपद की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से लेकर अश्विन कृष्ण पक्ष की अमावस्या तक रहते हैं।
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