आख़िर क्यों PM Modi ने अपने बर्थडे पर पूजा के लिए नर्मदा नदी को ही चुना?

Edited By Jyoti,Updated: 18 Sep, 2019 10:59 AM

pm narendra modi offers prayers at sardar sarovar dam

हमारे देश भारत में बहुत सी नदियां हैं जिनका सीधा संबंध हिंदू धर्म से है। इतना ही नहीं भारत एकलौता ऐसा देशा है जहां नदियों को केवल जल स्त्रोत के तौर पर नहीं बल्कि उन्हें जीवन दायिनी व सुख दायिनी शब्दों से संबोधन किया जाता है।

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हमारे देश भारत में बहुत सी नदियां हैं जिनका सीधा संबंध हिंदू धर्म से है। इतना ही नहीं भारत एकलौता ऐसा देशा है जहां नदियों को केवल जल स्त्रोत के तौर पर नहीं बल्कि उन्हें जीवन दायिनी व सुख दायिनी शब्दों से संबोधन किया जाता है। इन्हीं में से एक है नर्मदा नदी जिसको बेहद पावन व पवित्र नदी माना जाता है। इसे  रेवा के नाम से भी जाना जाता है। बताया जाता है नर्मदा नदी मध्य भारतीय उपमहाद्वीप की पांचवीं सबसे लंबी नदी है। यह गोदावरी नदी और कृष्णा नदी के बाद भारत के अंदर बहने वाली तीसरी सबसे लंबी नदी है। मध्य प्रदेश राज्य में इसके विशाल योगदान के कारण इसे "मध्य प्रदेश की जीवन रेखा" भी कहा जाता है। बीते दिन प्रधानमंत्री पीएम मोदी ने अपने 69वें जन्मदिन के मौके पर नर्मदा नदी की पूजा के साथ साथ स्तुति गान किया।
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आइए जानते हैं नर्मदा नदी से जुड़ी कुछ खास बातें-
हिंदू धर्म में भी नर्मदा नदी का बहुत महत्व है। स्कन्द पुराण के रेवाखंड़ में इसकी महिमा का वर्णन चारों वेदों की व्याख्या में श्री विष्णु के अवतार वेदव्यास जी ने किया है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस नदी का प्राकट्य भगवान विष्णु द्वारा अवतारों में किए राक्षस-वध के प्रायश्चित के लिए ही भगवान शिव द्वारा अमरकण्टक के मैकल पर्वत पर कृपा सागर भगवान शंकर द्वारा 12 वर्ष की दिव्य कन्या के रूप में किया गया। महारूपवती होने के कारण विष्णु आदि देवताओं ने इस कन्या का नामकरण नर्मदा किया। इस दिव्य कन्या नर्मदा ने उत्तर वाहिनी गंगा के तट पर काशी के पंचक्रोशी क्षेत्र में 10,000 दिव्य वर्षों तक तपस्या करके प्रभु शिव से निम्न ऐसे वरदान प्राप्त किए जो कि अन्य किसी नदी और तीर्थ के पास नहीं है।

विश्व में हर शिव-मंदिर में इसी दिव्य नदी के नर्मदेश्वर शिवलिंग विराजमान हैं। कई लोग जो इस रहस्य को नहीं जानते वे दूसरे पाषाण से निर्मित शिवलिंग स्थापित करते हैं ऐसे शिवलिंग भी स्थापित किए जा सकते हैं परन्तु उनकी प्राण-प्रतिष्ठा अनिवार्य है जबकि श्री नर्मदेश्वर शिवलिंग बिना प्राण के पूजित हैं।
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हिंदू धर्म के सभी पुराणों में वर्णन मिलता है कि प्राचीन काल में सभी देवता, ऋषि मुनि, गणेश, कार्तिकेय, राम, लक्ष्मण, हनुमान आदि ने नर्मदा तट पर ही तपस्या करके सिद्धियां प्राप्त की हैं। बताया जाता है दिव्य नदी नर्मदा के दक्षिण तट पर सूर्य द्वारा तपस्या करके आदित्येश्वर तीर्थ स्थापित है। पौराणिक कथाओं के अनुसार इस तीर्थ पर (अकाल पड़ने पर) ऋषियों द्वारा तपस्या की गई थी। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर दिव्य नदी नर्मदा 12 वर्ष की कन्या के रूप में प्रकट हो गई तब ऋषियों ने नर्मदा की स्तुति की।
 

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