Edited By Lata,Updated: 10 Jan, 2021 11:54 AM
हिंदू पंचांग के अनुसार प्रदोष व्रत हर माह में दो बार आता है। इस साल ये व्रत आज यानि
हिंदू पंचांग के अनुसार प्रदोष व्रत हर माह में दो बार आता है। इस साल ये व्रत आज यानि 10 जनवरी को मनाया जा रहा है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन भगवान शिव की पूजा की जाती है और साथ ही माता पार्वती का पूजन भी होता है। बता दें कि यह व्रत सौभाग्य प्राप्ति और मनोकामना पूर्ति के लिए रखा जाता है। आइए जानते हैं प्रदोष व्रत विधि और महत्व-
पूजा विधि
प्रदोष व्रत करने के लिए त्रयोदशी के दिन जल्दी सुबह उठकर सबसे पहले स्नान करें। भगवान शिव को जल चढ़ाकर भगवान शिव का मंत्र जपें। इसके बाद पूरे दिन निराहार रहते हुए प्रदोषकाल में भगवान शिव को शमी, बेल पत्र, कनेर, धतूरा, चावल, फूल, धूप, दीप, फल, पान, सुपारी आदि चढ़ाएं।
महत्व
प्रदोष व्रत भगवान शिव के साथ चंद्रदेव से भी जुड़ा है। मान्यता है कि प्रदोष का व्रत सबसे पहले चंद्रदेव ने ही किया था। माना जाता है श्राप के कारण चंद्र देव को क्षय रोग हो गया था। तब उन्होंने हर माह में आने वाली त्रयोदशी तिथि पर भगवान शिव को समर्पित प्रदोष व्रत रखना आरंभ किया था। जिसके शुभ प्रभाव से चंद्रदेव को क्षय रोग से मुक्ति मिली थी।
पौराणिक मान्यता के अनुसार प्रदोष व्रत करने वाले साधक पर सदैव भगवान शिव की कृपा बनी रहती है और उसका दु:ख दारिद्रता दूर होती है और कर्ज से मुक्ति मिलती है। प्रदोष व्रत में शिव संग शक्ति यानी माता पार्वती की पूजा की जाती है, जो साधक के जीवन में आने वाली सभी बाधाओं को दूर करते हुए उसका कल्याण करती हैं।
प्रदोष व्रत के लाभ
प्रदोष व्रत अलग-अलग कामनाओं की पूर्ति के साथ किया जाता है। आयु की कामना के लिए रविवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत को रखना चाहिए। वहीं अगर आपके मन में संतान प्राप्ति की इच्छा है तो शनिवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष के दिन उपवास रखना शुभ फलदायक रहता है।