Edited By Jyoti,Updated: 01 May, 2019 04:00 PM
हिंदू पंचांग के अनुसार हर महीने की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत मनाया जाता है। इस महीने ये पर्व 2 मई, गुरवार के को मनाया जा रहा है।
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हिंदू पंचांग के अनुसार हर महीने की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत मनाया जाता है। इस महीने ये पर्व 2 मई, गुरवार के को मनाया जा रहा है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस दिन भगवान शिव की पूजा का विधान है। कहते हैं इस दिन इनकी पूजा से जातक की गंभीर से गंभीर समस्या दूर हो जाती है। शास्त्रों के अनुसार प्रदोष व्रत को हिंदू धर्म के अन्य व्रतों में पहला स्थाना प्राप्त है, जिस कारण इसका इतना महत्व है। तो आइए जानते हैं इस दिन भगवान शिव को कैसे प्रसन्न किया जा सकता है और कौन सा मंत्र दिलाएगा महादेव की कृपा और भरपूर आशीर्वाद जिसके शुभ प्रभाव से होंगी आपकी हर समस्या दूर।
प्रदोष व्रत की विधि
प्रात:काल उठकर नित्य क्रम से निवृत होकर व स्नान आदि करके भोलेनाथ का पूजन करें। जो लोग समय न होने के कारण इनता पूर्ण तरीके से पूजन-अर्चन न कर सकें वो इस पूरा दिन मन ही मन “ॐ नम: शिवाय” मंत्र का जप करते रहें।
बता दें कि इस दिन भगवान शंकर की पूजा त्रयोदशी तिथि को प्रदोष काल में यानि सूर्यास्त से तीन घड़ी पहले शाम 4:30 बजे से लेकर शाम 7 बजे के बीच की जाती है। ज्योतिष के मुताबिक व्रती को शाम को पूजा करने से पहले दोबारा स्नान कर स्वच्छ श्वेत वस्त्र धारण करने चाहिए।
पूजन की सभी सामग्री एकत्रित कर लें। कलश अथवा लोटे में शुद्ध जल भर लें। कुश के आसन पर बैठकर शिव जी की विधि-विधान से पूजा करें।
“ॐ नम: शिवाय” का जाप करते हुए शिव जी को जल अर्पित करें।
इसके अलावा नीचे दिए गए मंत्र का 251 बार जप करें। ऐसा करने से जीवन की सारी समस्याएं खत्म हो जाती हैं।
मंत्र
ॐ ह्रीं क्लीं नम: शिवाय स्वाहा ।।
मान्यता है कि प्रदोष व्रत रखने वाले व्यक्ति को 2 गायों के दान समान पुण्यफल मिलता है। कहा जाता है कि जब चारों दिशाओं में अधर्म का बोलबाला नज़र आएगा, अन्याय और अनाचार अपनी चरम सीमा पर होगा, व्यक्ति में स्वार्थ भाव बढ़ने लगेगा, और व्यक्ति सत्कर्म के स्थान पर छुद्र कामों में आनंद लेगा, जिस कारण लोग पाप के भागी बनेंगे। अगर ऐसे लोग प्रदोष व्रत करने के साथ भगवान शिव जी की खास पूजा करेंगे तो उनके इस जन्म के नहीं बल्कि अन्य जन्म-जन्मान्तर के पाप नष्ट हो जाएंगे और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होगी।