कुंभ से जुड़ी ये दिलचस्प बातें नहीं जानते होंगे आप

Edited By Jyoti,Updated: 23 Jan, 2019 01:15 PM

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जैसे कि सब जानते हैं कुंभ का महापर्व शुरू हो चुका है। इस बार का कुंभ प्रयागराज में मनाया जा रहा है। हिंदू धर्म में कुंभ का त्योहार बहुत ही बड़ा और महत्वपूर्ण माना गया है। हर बार की तरह इस साल भी कुंभ का नज़ारा देखने लायक है।

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जैसे कि सब जानते हैं कुंभ का महापर्व शुरू हो चुका है। इस बार का कुंभ प्रयागराज में मनाया जा रहा है। हिंदू धर्म में कुंभ का त्योहार बहुत ही बड़ा और महत्वपूर्ण माना गया है। हर बार की तरह इस साल भी कुंभ का नज़ारा देखने लायक है। बता दें कि कुंभ का आयोजन हर साल शिवरात्रि के दिन समाप्त होता है। इस बार इसका समापन 4 मार्च 2019 को होगा। तो आइए आज कुंभ से जुड़ी कुछ ऐसी जानकारियां देते हैं। 
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बहुत कम लोग जानते होंगे कि कुंभ मेले में भारत के साथ-साथ विदेशों से भी कई भक्त आते हैं। कहा जाता है ये विदेशी बिना बुलाए करोड़ों की संख्या में आते हैं। 

बता दें कि कुंभ मेला दुनिया का सबसे बड़ा और भव्य धार्मिक और आध्यामिक मेला माना जाता है।
PunjabKesari, कुंभ, Kumbh 2019, Prayagraj Kumbh 2019हिंदू धर्म के ग्रंथों में इस बात का उल्लेख किया गया है जो कुंभ के दौरान पवित्र तीर्थों पर स्नान करने से मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है। 

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि कुंभ मेले की शान कहलाने वाले अखाड़ों के लिए शाही स्नान हेतु प्रशासन की तरफ़ से खास रास्तों का निर्माण किया जाता है। जिसमें केवल अखाड़ों के नागा साधु और संन्यासी ही चल सकते हैं।
PunjabKesari, कुंभ, Kumbh 2019, Prayagraj Kumbh 2019कुंभ मेले में शाही स्नान सुबह 3 बजे से ही शुरू हो जाता है। बता दें कि पहला स्नान साधु संन्यासी करते है, बाद में अन्य लोगों को स्नान करने दिया जाता है।

वैसे तो प्रयागराज की कुल आबादी करीब 12 लाख है लेकिन कुंभ के दौरान इस छोटे से शहर में रोज़ाना करोड़ों की संख्या में लोग जमा होते हैं।

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प्रयागराज का कुंभ मेला यूनेस्को की मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की प्रतिनिधि सूची में शामिल है। बता दें कि यहां पर तीन नदियों का संगम होता है जो दुनिया में कहीं और देखने को नहीं मिलता।

कहा जाता है कि कुंभ मेले की शान नागा साधु होते हैं। लेकिन इनके बारे में एक अजीब बात ये है कि ये नागा साधु केवल कुंभ में दिखते हैं जैसे ही कुंभ मेला खत्म हो जाता है, करोड़ों की तादाद में आने वाले ये साधु गायब हो जाते हैं।

पौराणिक कथाओं की मानें तो ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना से पहले यज्ञ के लिए धरती पर प्रयाग को चुना इसलिए इसे तीर्थराज प्रयाग भी कहा जाता है।
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मान्यता है कि कुंभ के दौरान देवलोक से देवी-देवता और पितरगण स्नान करते आते हैं जिसके कारण हर साल कुंभ में पवित्र नदियों का जलस्तर बढ़ जाता है।

कुंभ के आयोजन में ज्योतिष गणना का खास महत्व है। इसमें सूर्य, गुरू,शनि और चंद्रमा जैसे ग्रहों का विशेष महत्व होता है।

धार्मिक मान्यता के अनुसार महाकुंभ में स्वर्ग और पृथ्वी दोनों जगहों पर एक साथ कुंभ का आयोजन किया जाता है, जो कुल 50 दिन तक चलता है।
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इस बार के कुंभ मेले में लगभग 450 वर्ष में पहली बार प्रयागराज के किले में कैद अक्षयवट को आम लोगों के लिए खोला गया। अक्षयवट के बारे में एक मान्यत प्रचलित है जिसके अनुसार सृष्टि के प्रलय के समय भगवान विष्णु ने अक्षयवट पर आसन लगाकर पुन: नई सृष्टि की रचना की थी। ऐसा कहा जाता है कि यह वृक्ष प्रलय के समय भी नष्ट नहीं हुआ था।


बता दें कि विश्व के कुंभ मेले का आयोजन देश के 4 प्रमुख शहरों हरिद्वार, प्रयाग, नासिक और उज्जैन में किया जाता है। 
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प्रयागराज में होने वाले कुंभ मेले की एक खासियत है यहां होने वाला कल्पवास है। लोग दूर-दार से यहां लाइफ मैनेजमेंट और टाइम मैनेजमेंट की अहमियत  सिखाने वाले इस कल्पवास से जुड़ने के लिए आते हैं। 
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