ज्येष्ठ पूर्णिमा और रविवार का बना महासंयोग, सूर्योदय के समय ज़रूर करें ये काम

Edited By Jyoti,Updated: 15 Jun, 2019 05:44 PM

puja vidhi of jyeshtha purnima vrat on 16 june

इस महीने की 16 जून को ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा का पर्व मनाया जाएगा। बता दें कुछ मान्यता के अनुसार 17 जून को भी पूर्णिमा का पर्व मनाया जाएगा। हिंदू धर्म में वैसे ही पूर्णिमा और अमावस्या को बहुत ही अहम माना जाता है।

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इस महीने की 16 जून को ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा का पर्व मनाया जाएगा। बता दें कुछ मान्यता के अनुसार 17 जून को भी पूर्णिमा का पर्व मनाया जाएगा। हिंदू धर्म में वैसे ही पूर्णिमा और अमावस्या को बहुत ही अहम माना जाता है। तो अगर बात हो ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा को तो इसे और भी खास माना जाता है। बता दें कि इस बार इसी दिन वट पूर्णिमा का तयौहार मनाया जाएगा। ज्योतिषियों का कहना है कि रविवार को पड़ रह इस साल की पूर्णिमा का खासा महत्व है। रविवार का दिन सूर्य देव को समर्पित होता है। माना जा रहा है इस दिन सूर्य देव की पूजा अति फलदायी माना जाती है। जैसे अगर किसी व्यक्ति के कुंडली में सूर्य गलत भाव में हो और उसके मान-सम्मान में कमी आती है। जबकि वहीं अगर सूर्य की स्थिति में यश बढ़ता है। तो अगर आप भी सू्र्य का शुभ फल प्राप्त करना चाहते हैं तो इस महीन की पूर्णिमा तिथि पर सूर्य की विशेष पूजा ज़रूर करें।  
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यहा जानें इस दिन क्या करना चाहिए-
पूर्णिमा को दिन जल्दी उठे और समस्त देवी-देवताओं की पूजा करने के बाद सूर्य देव को तांबे के पात्र में जल भर अर्घ्य दें। अर्घ्य देने के बाद जहां खड़े हो कर सूर्य को जल देकर मन में सूर्य देव का ध्यान करते हुए 3 बार वहीं परिक्रमा करें। 

याद रहे कि तांबे के पात्र में जल के साथ चावल और लाल फूल भी ज़रूर होने चाहिए।

अर्घ्य देेते समय  ॐ सूर्याय नम: मंत्र का उच्चारण करें। 

पूर्णिमा के दिन सूर्य देव को जल देने के बाद किसी गरीब को दान अवश्य करें, फलदायक होता है।
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ज्येष्ठ पूर्णिमा 2019 पूजा विधि-
ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन सुहागिन महिलाएं पति की लंबी आयु की कामना के लिए व्रत करें।
इस दिन नित क्रिया व स्नान आदि के बाद ही वट वृक्ष की पूजा के लिए घर से निकलें।
थाली में फूल माला, अगरबत्ती, दीपक, सिंदूर, चावाल आदि पूजा की साम्रगी को सजाकर लाल कपड़े से ढककर वट वृक्ष के नीचे बैठकर विधि विधान से देवी मां की पूजा करें। 
पूजा करने के साथ सुहागिन महिलाएं वट वृक्ष की परिक्रमा करें। 
पूजन संपन्न के बाद प्रसाद के रूप में सभी में मिठाई, फल आद वितरित करें।
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सूर्य व्रत
भगवान भास्कर की शुभ ऊर्जा को पाने के लिए 15 से 30 रविवार, या एक वर्ष तक व्रत रखा जा सकता है। व्रत के दिन स्नान-ध्यान के उपरांत तांबे की लोटे में शुद्ध जल, लाल रोली या चंदन, अक्षत, लाल पुष्प आदि डालकर ‘ॐ घृणि सूर्याय नमः’ मंत्र बोलते हुए अर्घ्य दें। संभव हो तो साथ ही इस मंत्र का कम से कम 3 माला जप करें। इस व्रत के प्रभाव से शुभ फलों में वृद्धि होती है, आरोग्य प्राप्ति, शत्रु शमन और तेज़ प्राप्त होता है।
 

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