समय को उन कार्यों में लगाएं, जो आपको सच्ची संतुष्टि दें

Edited By Punjab Kesari,Updated: 27 Nov, 2017 05:38 PM

put the time in tasks that give you true satisfaction

समय हमेशा बहता रहता है। समय की धारा में बहते हुए हम इतना कर सकते हैं कि उसका सदुपयोग करें। उसे अपने लिए अर्थवान बनाएं। जीवन को सार्थक बनाने से आशय यही है कि हमें संतुष्टि मिले। हमें जीवन की सार्थकता के लिए प्रयास करना ही चाहिए।

समय हमेशा बहता रहता है। समय की धारा में बहते हुए हम इतना कर सकते हैं कि उसका सदुपयोग करें। उसे अपने लिए अर्थवान बनाएं। जीवन को सार्थक बनाने से आशय यही है कि हमें संतुष्टि मिले। हमें जीवन की सार्थकता के लिए प्रयास करना ही चाहिए। कुछ लोग अगर दूसरों को सताने, उनके साथ धोखा करने और उन्हें परेशान करने में ही समय लगाते हैं तो इससे उन्हें तात्कालिक राहत तो मिल सकती है लेकिन लंबे समय में मन पर एक बोझ रहता है। उनके जीवन में कभी संतुष्टि का भाव नहीं आ सकता। 

 

इसलिए अपने समय को उन कार्यों में लगाना चाहिए जो आपको सच्ची संतुष्टि देते हैं। पैसे से आपके जीवन में संतुष्टि नहीं आ सकती है। जब आप पैसे के पीछे जाते हैं तो और-और ही करते रहते हैं। लेकिन जब आप अपने जीवन में करुणा जगाते हैं तो संतुष्टि और प्रसन्नता प्राप्त होती है। जीवन की सार्थकता का एहसास होता है। हमारा लक्ष्य इस संतुष्टि को पाने का ही होना चाहिए।


पीड़ा और आनंद सभी जीव-जंतु समान रूप से महसूस करते हैं। यहां तक कि वृक्ष भी संवेदना व्यक्त करते हैं, लेकिन मनुष्य के पास बुद्धि (विवेक) है जो उसे दूसरों से अलग करती है। मगर विवेक हमारी बहुत-सी समस्याओं का कारण बन गया है। बुद्धि ही आज मनुष्य के तनाव की वजह बन गई है।


पढ़े-लिखे लोग ज्यादा तनाव में रहते हैं क्योंकि वे अपेक्षाओं और डर के साथ जीवन जीते हैं। इनकी वजह से उनके मन में चिंताएं रहती हैं। जानवरों की सोच तात्कालिक होती है लेकिन हम आगे-पीछे का भी सोचते हैं। हम सिर्फ अपने ही जीवन के बारे में नहीं सोचते बल्कि पीढि़यों के बारे में सोचने लगते हैं। यहीं हम जीवन में चिंता के लिए जगह बना लेते हैं।

 

वैज्ञानिक बताते हैं कि अगर नियमित डर, गुस्सा और नफरत आपके दिमाग में बने रहते हैं तो वे शरीर को बहुत नुक्सान पहुंचाते हैं। शांत मस्तिष्क सबसे ज्यादा जरूरी है। ईमानदार और सच्चे लोग ही विश्वास जीतते हैं और उनके साथ मित्रता लंबी चलती है। भले ही आप विश्वास करें या न करें, ऐसे लोग ही संतुष्टि पाते हैं। जब तक आप आत्मनिष्ठ हैं, बहुत सोच-विचारकर चलते हैं, शांति नहीं पा सकते। जब मस्तिष्क बहुत चीजों से भरा नहीं होता तब शरीर और मन ज्यादा बेहतर रहता है।

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