नवग्रहों में राहु को छाया ग्रह कहा जाता है। जो व्यक्ति के मन-मस्तिष्क को अपने वश में करके जैसा चाहे वैसा काम करवाता है। ये जब किसी व्यक्ति की कुंडली में आता है तो अशुभता देता है। सूर्य उदय से लेकर सूर्य अस्त तक का जो वक्त होता है उसके
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नवग्रहों में राहु को छाया ग्रह कहा जाता है। जो व्यक्ति के मन-मस्तिष्क को अपने वश में करके जैसा चाहे वैसा काम करवाता है। ये जब किसी व्यक्ति की कुंडली में आता है तो अशुभता देता है। सूर्य उदय से लेकर सूर्य अस्त तक का जो वक्त होता है उसके आठवें भाग का स्वामी राहु है। इस दौरान जो समय होता है उसे राहुकाल कहते हैं। ये 24 घण्टे में से 90 मिनट का एक फिक्स्ड टाइम होता है। किसी भी शुभ काम से पहले राहु काल का ध्यान रखना चाहिए। राहुकाल के दौरान किए गए काम कभी भी सफल नहीं होते अथवा बहुत अधिक परेशानी आने के बाद ही काम बनता है। ये समय रोजाना कुछ समय के लिए आता है। जो साधारण तौर पर स्थानीय समय अनुसार-

सोमवार को सुबह 7.30 से 9 तक।
मंगलवार को 15.00 से 16.30 तक।
बुधवार को 12 से 13.30 तक।
बृहस्पतिवार को 13.30 से 15.00 तक।
शुक्रवार को 10.30 से 12.00 तक।
शनिवार को 9.00 से 10.30 तक।
रविवार को सायं 16.30 से 18.30 बजे के काल में रहता है।

वैसे तो राहुकाल का टाइम किसी जगह के सूर्योदय व वार पर डिपेंड करता है। इन योगों को देखकर कोई भी काम करना चाहिए। वैदिक शास्त्रों में कहा गया है इस दौरान कोई भी मांगलिक कार्य करने से बचना चाहिए। राहुकाल का विचार दिन में ही करना चाहिए लेकिन कुछ विद्वान रात के समय पर भी इसका विचार करते हैं जो उचित नहीं कहा जा सकता। रविवार, मंगलवार तथा शनिवार को इसका खास ध्यान रखना चाहिए। अन्य दिनों में ये अधिक प्रभावशाली नहीं होता। आइए जानें, राहु काल में क्या नहीं करना चाहिए-

यज्ञ न करें।
नए कारोबार का शुभारंभ न करें।
यात्रा न करें।
लेन-देन न करें।
खरीद-फरोख्त का काम न करें।
विवाह, सगाई, धार्मिक कार्य या गृह प्रवेश नहीं करना चाहिए।
बहुमूल्य वस्तुएं न खरीदें।
लेन-देन का काम न करें।
उपाय : राहुकाल के दौरान यदि कोई जरूरी काम करना पड़ जाए तो पान, दही या कुछ मीठा खाकर काम किया जा सकता है।
हनुमान चालीसा का पाठ करने के बाद भी काम किया जा सकता है।
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