Edited By Lata,Updated: 08 Aug, 2019 10:42 AM
रक्षा बंधन का पवित्र त्योहार 15 अगस्त आजादी दिवस पर मनाया जाएगा। बहन-भाई के प्यार का पवित्र पर्व बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है।
ये नहीं देखा तो क्या देखा (Video)
रक्षा बंधन का पवित्र त्योहार 15 अगस्त आजादी दिवस पर मनाया जाएगा। बहन-भाई के प्यार का पवित्र पर्व बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन बहन अपने भाईयों की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधकर उससे अपनी रक्षा का वचन लेती हैं। हिंदू धर्म में ऐसे कई त्योहार हैं, जिनका अपना एक अलग ही महत्व होता है। ऐसे ही क्या आप में से कोई ये बात जानता है कि रक्षा बंधन पर बहन राखी बांधने से पहले अपने भाई का तिलक क्यों करती है? अगर आप भी नहीं जानते इसके पीछे का महत्व तो आइए हम आपको इसका शुभ महत्व बताते हैं।
राखी का त्योहार बहुत ही पवित्र व शुभ होता है। यह भाई-बहन के रिश्ते का प्रतीक माना गया है। इस पावन अवसर पर हर बहन अपने भाई को राखी बांधने से पहले तिलक जरूर करती है। शास्त्रों में श्वेत चंदन, लाल चंदन, कुमकुम, भस्म आदि से तिलक लगाना शुभ माना गया है पर रक्षाबंधन के दिन कुमकुम से ही तिलक किया जाता है और इसका साथ ही चावलों का उपयोग भी होता है।
यह तिलक विजय, पराक्रम, सम्मान, श्रेष्ठता और वर्चस्व का प्रतीक है। तिलक मस्तक के बीच में लगाया जाता है। यह स्थान छठी इंद्री का है। इसका वैज्ञानिक कारण यह है कि अगर शुभ भाव से मस्तक के इस स्थान पर तिलक के माध्यम से दबाव बनाया जाए तो स्मरण शक्ति, निर्णय लेने की क्षमता, बौद्धिकता, तार्किकता, साहस और बल में वृद्धि होती है।
माथे पर आप दोनों भौहों के बीच जहां आप तिलक लगाते हैं वो अग्नि चक्र कहलाता है। यहीं से पूरे शरीर में शक्ति का संचार होता है। यहां तिलक करने से ऊर्जा का संचार होता है और व्यक्ति का आत्मविश्वास बढ़ता है।
इसका प्रतीकात्मक अर्थ यह हुआ कि बहन की समाज में रक्षा के लिए इन सभी गुणों की जरूरत है अत: बहन के ही शुभ हाथों से कार्य संपन्न होना चाहिए। बहन से अधिक शुभ आपके लिए कौन सोच सकता है और वह भी राखी जैसे पर्व के दिन। अत: राखी के दिन भाई को कुमकुम से बहन के हाथों तिलक का रिवाज है। इसके साथ ही चावल लगाने का रिवाज़ बताया जाता है। कहते हैं कि इसे लगाने से सकरात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
शास्त्रों के अनुसार, चावल को हविष्य यानि हवन में देवताओं को चढ़ाया जाने वाला शुद्ध अन्न माना जाता है। कच्चे चावल का तिलक में प्रयोग सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करने वाला होता है। चावल से हमारे आसपास की नकारात्मक ऊर्जा सकारात्मक ऊर्जा में परिवर्तित हो जाती है।