Edited By Niyati Bhandari,Updated: 25 Apr, 2022 08:25 AM
माह-ए-रमजान में नेकियों का अज्र 70 गुना मिलता है ये है आज का माह-ए-रमजान का समय इफ्तार
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Ramadan 2022: माह-ए-रमजान में नेकियों का अज्र 70 गुना मिलता है
ये है आज का माह-ए-रमजान का समय
इफ्तार
6:53
सेहरी
4:24
रमजान की फजीलतें
दिल में मदद करने का जज्बा उभरे: अल्लाह पाक ने माह-ए-रमजान में मुसलमानों को रोजा रखने का हुक्म दिया है। ताकि, गरीबी व तंगी से जूझते और भूख-प्यास से बिलखते लोगों के दर्द का अहसास हो सके। साथ ही, दिल में मदद करने का जज्बा उभरे। खुद को जिक्र-ओ-फिक्र, इबादत व रियाजत, कुरआन की तिलावत और याद-ए-इलाही में मसरूफ रखें। माह-ए-रमजान में नेकियों का अज्र 70 गुना मिलता है। इसलिए इस माह में ज्यादा से ज्यादा नेक काम कर अज्र समेत नेकी जमा कर लेना चाहिए। रमजान में अल्लाह का जिक्र करने वाले को बख्श दिया जाता है। रमजान के महीने में अल्लाह पाक से मांगने वाला कभी भी महरूम यानी वंचित नहीं रहता। रमजान ऐसा महीना है, जिसमें हर रोज और हर समय इबादत होती है। -शम्सुद्दीन खान
रोजा रखना इंसान के अंदर सच्ची जिंदगी पैदा करना: रोजे रखने का मकसद इंसान के अंदर सच्ची जिंदगी पैदा करना है। इंसान की जिंदगी अल्लाह के बताए रास्ते पर रह कर ही संवर सकती है। रमजान के महीने में सहरी और इफ्तार के बहुत से आदाब के लिहाज किया जाते हैं, लेकिन सहरी और इफ्तार के वक्त का खास ध्यान रखा जाता है। नेकियों के मौसम बहार और बरकतों के महीने का मुसलमान बड़ी बेचैनी से इंतजार करते हैं। इस महीने में इस्लामी मुआसरे के समय में काफी तब्दीलियां होती हैं। सभी लोग कुरान मजीद क तिलावत, पंचवक्ता नमाजों की पाबंदी, नमाज तरावी का एहमाम, सहरी की रौनकें, इफ्तार की खुशी, सदके खेरात की फरावानी से बाजारों की चहल पहल बढ़ जाती है। रोजा रखना सवाब का काम है। रोजा रखना सभी का फर्ज बनता है। रोजा रखने से बंदा अल्लाह की रहमतों का हकदार बनता है। -फरदीन