Edited By Niyati Bhandari,Updated: 27 Apr, 2022 08:11 AM
रमजान की फजीलतें
रहमतों का महीना रमजान: अजमत, बरकत और रहमत के माह-ए-रमजान को इबादत का महीना कहा जाता है, क्योंकि ये हर पल को इबादत का पल बना
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Ramadan 2022: रोजा, पूरे शरीर का व्यायाम
ये है आज का माह-ए-रमजान का समय
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रमजान की फजीलतें
रहमतों का महीना रमजान: अजमत, बरकत और रहमत के माह-ए-रमजान को इबादत का महीना कहा जाता है, क्योंकि ये हर पल को इबादत का पल बना देता है। रमजान का महीना बेहद पाक होता है। इस महीने में बड़ों से लेकर बच्चों तक सभी रोजा रखते हैं। रोजा रखना खुदा को राजी करने का बहुत बड़ा जरिया है। हर बुराई से बचना भी रोजा में शामिल है। रमजान के दिनों में मस्जिदों में तरावीह की नमाज का विशेष महत्व है। रोजा सभी मुसलमान महिलाएं, पुरुष व नौजवान पर वाजिब है, सिर्फ बच्चों व बीमार लोगों को छोड़कर। रोका का मतलब सिर्फ भूखे रहना ही नहीं, बल्कि भूख-प्यास के साथ पूरे जिस्म का रोकाा रखना है। मतलब कि हर बुराई व गुनाह से दूर रहकर रखा गया रोजा ही अल्लाह स्वीकार करता है।
-अरशद
रमजान महीने से प्रेरणा मिलती है: इस महीने में शरीर हर प्रकार से रोजेदार के अनुकूल काम करता है। इस महीने में जितनी इबादत की जाए, वो कम है। एक नेकी का सबाब 70 नेकियों के बराबर मिलता है। कुरान शरीफ की तिलावत और ईशा की नमाज में तराबीह का सबसे ज्यादा सवाब रोजेदारों को मिलता है। भूख की शिद्दत पर नियंत्रण करने के अलावा पांच वक्त की नमाज बाजमात पढऩे का सवाब अकेले नमाज पढऩे से कई गुना ज्यादा होता है। इस महीने में खुदा की इबादत करने से बीमारियां शरीर से इस प्रकार दूर हो जाती हैं, जैसे की शरीर पूरे दिन योग कर रहा हो। आपसी प्रेम दूसरे महीनों से कहीं ज्यादा सभी मजहब के लोगों में दिखाई पड़ता है। बरकत के महीने में रोजे रखकर अपने गुनाहों पर माफी पा सकते हैं। ये महीना हमारे ईमान को तरोताजा रखता है।
-शमीम अहमद