Edited By Niyati Bhandari,Updated: 29 Apr, 2022 08:25 AM
रमजान की फजीलतें
रोजा रखने का असली मतलब सिर्फ भूखे-प्यासे रहना नहीं है बल्कि आंख, कान और जीभ का भी रोजा रखा जाता है। मैं कई सालों से
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Ramadan 2022: सिर्फ भूखे रहना ही रोजा नहीं है...
रमजान की फजीलतें
रोजा रखने का असली मतलब सिर्फ भूखे-प्यासे रहना नहीं है बल्कि आंख, कान और जीभ का भी रोजा रखा जाता है। मैं कई सालों से रोजा रखती आ रही हूं। हमेशा मैं अल्लाह से यह दुआं करती हूं कि देश का मुसलमान सच्चा इस्लाम समझे क्योंकि वह अभी भटका हुआ हैं और दीन की तरह से ध्यान हटाया हुआ है। इस महीने में हम अपने गुनाहों से माफी मांग सकते है और इसे हमें गवाना नहीं चाहिए। रमजान का मतलब है कि न बुरा देखना है, न बुरा सुनना है और न ही बुरा कहना है। इतना ही नहीं, इसके साथ ही इस बात का भी ध्यान रखा जाता है कि बोली गई बातों से किसी की भावनाओं को ठेस न पहुंचे।
-इरम खान
ये है आज का माह-ए-रमजान का समय
इफ्तार
6:55
सेहरी
4:19
रमजान के हर दिन हर वक्त होती है इबादत: रमजान ऐसा महीना है जिस का अव्वल हिस्सा रहमत, बीच का हिस्सा मगफिरत और आखिरी हिस्सा निजात यानी जहन्नुम से आजादी का है। रमजान ही एक ऐसा महीना है, जिसमें हर दिन और हर वक्त इबादत होती है। रोजा इबादत, इफ्तार इबादत, इफ्तार के बाद तरावीह का इंतजार करना इबादत, तरावीह पढ़कर सहरी के इंतजार में सोना इबादत। मतलब यह कि हर पल अल्लाह की मर्जी से जीने की कोशिश की जाती है। कुरआन शरीफ में सिर्फ रमजान का ही नाम लेकर इसकी फजीलत को बयान किया गया है। इसमें एक रात शब-ए-कद्र है, जो हजार महीनों से बेहतर है। रमजान में इंतकाल करने वालों से कब्र में सवालात नहीं होते।
-शाकिर मलिक