Edited By Jyoti,Updated: 02 May, 2019 06:22 PM
जैसे कि हमने आपको बताया है मई के महीने में हिंदू धर्म से जुड़े कई पर्व और त्यौहार पड़ रहे हैं। अब हम आपको बताने जा रहे हैं मुस्लिम धर्म के एक प्रमुख त्यौहार के बारे में।
ये नहीं देखा तो क्या देखा (VIDEO)
जैसे कि हमने आपको बताया है मई के महीने में हिंदू धर्म से जुड़े कई पर्व और त्यौहार पड़ रहे हैं। अब हम आपको बताने जा रहे हैं मुस्लिम धर्म के एक प्रमुख त्यौहार के बारे में। इस महीन की 4 मई या 5 मई को चांद देखने के बाद रमज़ान का पावन महीना शुरू हो रहा है। कहा जाता है कि इस दौरान पूरे 30 दिन रोज़ा रखा जाता है। इन रोज़ों के दौरान खान-पान का खासतौर पर ध्यान रखा जाता है। अभी भी काफ़ी लोगों की इससे जुड़ी बहुत सी बातें नहीं पता होगी तो चलिए हम आपको इससे संबंधित कुछ बातों से अवगत करवाते हैं।
बता दें असल में रमज़ान या रमदान इस्लामी कैलेण्डर का नौंवा महीना है। मुस्लिम समुदाय के लोग इसे बेहद पावन माना जाता है। इस महीने में रोज़े रखना, तरावीह की नमाज़ पढ़ना, क़ुरान तिलावत करना, ज़कात देना यानि दान देना आदि से पुण्य कई गुना बढ़ जाते हैं।
जिन लोगों का अभी भी ये सवाल है कि रमजान 2019 कब है तो जाने लें कि इस साल 2019 में रमजान का पाक महीना 4 मई या 5 मई को चांद देखने के बाद शुरू होगा। इसे बरकतों और रहमतों का पाक महीना कहा जाता है। मुस्लिम धर्म के हर व्यक्ति के लिए ये महीना बहुत ही पवित्र और फायदेमंद होता है।
कहते हैं कि असल में यह चांद पर निर्भर करता है कि रमजान कब से शुरू होगा। कई बार एक या दो दिन आगे पीछे हो जाता है। रमजान 2019 में मुस्लिम समाज के लोग 29 दिन रोज़े रखते हैं और अंतिम दिन ईद मनाई जाती है।
यहां जानें रमजान से जुड़ी मान्यताएं
कहा जाता है कि रमजान के पाक महीने में जन्नत के दरवाज़े खोल दिए जाते हैं। इसलिए इस दौरान किए गए अच्छे कर्मों का फल कई गुणा ज्यादा बढ़ जाता है। माना जाता है इस पूरे महीने में ऊपर वाला अपने बंदों के अच्छे कामों पर नज़र करता है उनसे खुश होता है।
रमजान के पाक माह में दोजख यानि नर्क के दरवाज़े बंद कर दिए जाते हैं।
रमदान के इस पाक यानि पवित्र महीने में अल्लाह से सभी बुरे कर्मों के लिए माफ़ी भी मांगी जाती है।
मुस्लिम संप्रदाय के लोग महीने भर तौबा के साथ इबादतें करते हैं। माना जाता है कि ऐसा करने से इंसान के सारे गुनाह धुल जाते हैं।
रमजान के दौरान नफिल नमाजों का शबाब फर्ज के बराबर माना जाता है।
रोज़ादार भूखे-प्यासे रहकर खुदा की इबादत करते हैं। रोज़ों के दौरान वे सिर्फ सहरी और इफ्तार ही लेते हैं। कहा जाता है कि रोज़ादार को झूठ न बोलना, चुगली न करना, अपशब्दों का इस्तेमाल न करना, औरत को बुरी नज़र से न देखना और खाने को लालच भरी नज़रों नहीं देखना चाहिए। माना जाता है कि पाक रमजान माह में फर्ज़ नमाज़ो का शबाब 70 गुणा बढ़ जाता है।