Edited By Niyati Bhandari,Updated: 30 Mar, 2020 12:15 PM
रामायण में भगवान शिव और देवी पार्वती की एक उपकथा है। जिसमें भगवान शिव कहते हैं की 4 ऐसे लोग हैं जिनके द्वारा कहे शब्दों पर ध्यान मत दें और ऐसे लोगों से दूरी बनाएं रखें क्योंकि उन से बात करना
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रामायण में भगवान शिव और देवी पार्वती की एक उपकथा है। जिसमें भगवान शिव कहते हैं की 4 ऐसे लोग हैं जिनके द्वारा कहे शब्दों पर ध्यान मत दें और ऐसे लोगों से दूरी बनाएं रखें क्योंकि उन से बात करना अपना अपमान करना है। अपने मान-सम्मान को बनाए रखने के लिए कभी भी नीचे लिखे 4 लोगों से बातचीत न करें क्योंकि यह आपको अपमानित करने और नीचा दिखाने का कोई मौका नहीं चूकेंगे।
पहला सुख निरोगी काया प्रथम वह व्यक्ति है जिसके पेट में कब्ज, गैस, आंतों में विकार, अपच, मल सूखना, वात प्रकोप और लगातार कब्ज आदि की वजह से दर्द हो रहा हो। ऐसे व्यक्ति के साथ तर्क-वितर्क करना अपना अपमान करवाना है क्योंकि दर्द की हालत में व्यक्ति कुछ भी सोचने समझने की स्थिती में नहीं होता।
दूसरा वह व्यक्ति है जो मानसिक रोगों से पीड़ित हो वैसे तो देखने में मानसिक रोग, शारीरिक रोगों से अलग प्रतीत होते हैं किन्तु उनके कारणों में भिन्नता नहीं होती। ऐसे लोगों को अपनी सुध बुध नहीं होती। उनसे वार्तालाप करके स्वयं अपना अपमान करवाना है। जो व्यक्ति संयमी और सात्विक विचार रखने वाले होते हैं उन्हें मानसिक रोग कम होते हैं।
नशीले पदार्थों के सेवन से व्यक्ति को शारीरिक, मानसिक और आर्थिक हानि पहुंचने के साथ ही इससे सामाजिक वातावरण भी प्रदूषित होता ही है साथ ही स्वयं और परिवार की सामाजिक स्थिति को भी भारी नुकसान पहुंचता है। नशे के आदि व्यक्ति को समाज में हेय की दृष्टि से देखा जाता है। अत: ऐसे लोगों से दूरी बनाएं रखें अन्य़था बेवजह अपमान झेलना पड़ सकता है।
इंसान अपनी शारीरिक जरूरतों को पूरा करने में इतना व्यस्त है कि जीवन के उद्देश्य को भूल गया है, जो पास है उसे भूलकर दूसरी चीजों के आकर्षण में पड़ा हुआ है। आज वह भगवान की भक्ति की ओर ध्यान केंद्रित न कर मोह माया में पड़ा हुआ है। धृतराष्ट्र ने अपने पुत्र मोह में पड़कर महाभारत जैसे युद्ध को अंजाम दिया। अत: मोहमाया में फंसे लोगों से वाद-विवाद करना अपना अपमान करवाना है।