रामायणः कर्मों के अनुसार मिलते हैं व्यक्ति को परिणाम

Edited By Lata,Updated: 19 Jun, 2019 11:21 AM

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हमारे हिंदू धर्म में कितने ही ऐसे ग्रंथ हैं, जिनसे हमें बहुत सारी बातों की जानकारी मिलती है, जिसका उपयोग हम अपने दैनिक जीवन में भी कर सकते हैं।

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हमारे हिंदू धर्म में कितने ही ऐसे ग्रंथ हैं, जिनसे हमें बहुत सारी बातों की जानकारी मिलती है, जिसका उपयोग हम अपने दैनिक जीवन में भी कर सकते हैं। वहीं रामायण धर्म के साथ-साथ कर्म प्रधान ग्रंथ भी माना जाता है। रामायण में जिस तरह रावण को अपने बुरे कर्म के कारण मृत्यु मिली, ठीक उसी तरह श्रीराम के पिता राजा दशरथ को भी अपनी ही पुरानी गलतियों के कारण दुख मिला। आज हम आपको रामायण से जुड़े एक ऐसे प्रसंग के बारे में बताएंगे, जिससे आपको ये पता चलेगा कि आपका भाग्य अच्छे या बुरे कर्मों के फल से ही बनता है। 
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कई बार ऐसा होता है कि व्यक्ति पूरी मेहनत तो करता है, लेकिन फिर भी उसे उसका परिणाम नहीं मिलता है। ऐसे में कुछ लोगों को कहने का मौका मिल जाता है कि हमारी किस्मत में ऐसा ही लिखा था। दरअसल जब भी किसी काम का नतीजा संतुष्टि देने वाला न हो तो अतीत में देखना चाहिए कि आपसे कहां चूक हुई थी।  
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बात उस समय की है जब श्रीराम को वनवास हो चुका था। राम, सीता और लक्ष्मण तीनों वन के लिए जा रहे थे। तब राजा दशरथ इस पूरी घटना को नियति का खेल बता रहे थे। वह ये सब भाग्य का लिखा मान रहे थे। राम जी के जाने के बाद जब वे अकेले कौशल्या के साथ थे तो उन्हें अपनी गलतियां नजर आने लगी। उनसे युवावस्था में श्रवण कुमार की हत्या हुई थी, दशरथ को याद आ गया। बूढ़े मां-बाप से उनका एकलौता सहारा छिन गया था। ये सब उसी का परिणाम है। हर परिणाम के पीछे कोई कर्म जरूर होता है। बिना कर्म हमारे जीवन में कोई परिणाम आ ही नहीं सकता। इसलिए हर व्यक्ति को अपने कर्मों पर ध्यान देना चाहिए। 

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