रामचरितमानसः इन कामों को करने से मिलती है असफलता

Edited By Lata,Updated: 11 Aug, 2019 02:19 PM

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हर किसी काम को करने से पहले हर कोई चाहता है कि उसे उस काम में सफलता मिले। लेकिन जीवन में सुखद व सफल बनने के लिए व्यक्ति को बहुत सी बातों का ध्यान रखना पड़ता है।

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हर किसी काम को करने से पहले हर कोई चाहता है कि उसे उस काम में सफलता मिले। लेकिन जीवन में सुखद व सफल बनने के लिए व्यक्ति को बहुत सी बातों का ध्यान रखना पड़ता है। कई बार इंसान से जाने-अंजाने में गलतियां हो जाती हैं, जिससे कि उसे बुरे परिणाम भोगने पड़ते हैं। यदि मनुष्य से ऐसे काम हो भी जाएं, जो उसे नहीं करने चाहिए, लेकिन फिर भी उसे उसका फल भुगतना ही पड़ता है। आज हम आपको श्री रामचरितमानस के एक दोहे से बताएंगे कि कौन से काम सही हो और कौन से काम मनुष्य के लिए गलत होते हैं। 
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श्लोक
रागु रोषु इरिषा मदु मोहु, जनि जनि सपनेहुं इन्ह के बस होहु।
सकल प्रकार बिकार बिहाई, मन क्रम बचन करेहु सेवकाई।।
अर्थात- राग (अत्यधिक प्रेम), रोष (क्रोध), ईर्ष्या (जलन), मद (अहंकार) और मोह (लगाव)- इस पांच कामों से हमेशा नुकसान ही होता है, अतः इनसे सपने में भी दूर ही रहना चाहिए।
 
अधिक प्रेम
शास्त्रों में बताया गया है कि किसी से भी अधिक प्रेम करना गलत होता है। क्योंकि इसी वजह से व्यक्ति को सही-गलत की पहचान नहीं रहती है और इसी के साथ ही वह अधर्मी भी हो जाता है।
जैसे गुरु द्रोणाचार्य जानते थे कि कौरव अधर्मी है, फिर भी अपने पुत्र अश्वत्थामा से बहुत अधिक प्रेम करने की वजह से वे जीवनभर अधर्म का साथ देते रहे। इसलिए किसी के साथ भी ज्यादा मोह की भावना नहीं रखनी चाहिए। 
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क्रोध 
गुस्से में व्यक्ति सही-गलत की पहचान भूल जाता है और इसी के साथ ही बिना विचार किए व्यक्ति ये भूल जाता है कि सामने वाले को जो कह रहा है वह सही हो या नहीं। क्रोध की वजह से मनुष्य का स्वभाव दानव के समान हो जाता है। क्रोध में किए गए कामों की वजह से बाद में शर्मिदा होना पड़ता है और कई परेशानियों का भी सामना करना पड़ सकता है।

जलन
जो व्यक्ति दूसरों के प्रति ईर्ष्या की भावना रखते हैं, उन्हें जीवन में कभी सफलता नहीं मिलती है। वह दूसरों को नीचा दिखाने के लिए किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार हो जाते हैं। जलन की भावना रखने वाले के लिए सही-गलत के कोई पैमाने नहीं होते हैं जैसे दुर्योध सभी पांडवों की वीरता और प्रसिद्धि से जलता था। इसी जलन की भावना की वजह से दुर्योधन ने जीवनभर पांडवों का बूरा करने की कोशिश की और अंत में अपने कुल का ही नाश कर दिया।
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अहंकार
अहंकारी व्यक्ति की कोई सीमा नहीं होती है, वह हर हद को पार करके सामने वाले इंसान को अपना अहंकार दिखाता है। ऐसे में उसे अच्छे और बुरे का होश नहीं रहता है और ऐसे लोग परिवार व अपने दोस्तों को हमेशा कष्ट पहुंचाना ही होता है।

लगाव 
हर इंसान को अपने जीवन में किसी न किसी चीज़ से लगाव जरूर होता है और यह मनुष्य का स्वाभाव ही होता है। लेकिन ज्यादा मोह होना किसी चीज़ या व्यक्ति के साथ मनुष्य की बर्बादी का कारण बनता है। इसलिए ज्यादा मोह इंसान को छोड़ देना चाहिए।  

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