Edited By Lata,Updated: 12 Mar, 2020 09:50 AM
रंग पंचमी का पर्व बहुत ही खास होता है। बता दें कि ये होली के ठीक 5 दिन बाद आता है और इस बार ये दिन 13 मार्च
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
रंग पंचमी का पर्व बहुत ही खास होता है। बता दें कि ये होली के ठीक 5 दिन बाद आता है और इस बार ये दिन कल यानि 13 मार्च को मनाया जाएगा। होली का पर्व चैत्र कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा से प्रारंभ हो जाता है और पंचमी तिथि तक चलता है। पंचमी तिथि पर पड़ने के कारण ही इसे रंग पंचमी का पर्व कहते हैं। मान्यताओं के अनुसार इस दिन होली की तरह ही रंगों के साथ खेला जाता है। रंगों के गुलाल से वातावरण में ऐसी स्थिति व्याप्त होती है जिससे कि तमोगुण और रजोगुण का नाश होता है। शास्त्रों के अनुसार यह दिन देवताओं को समर्पित होता है।
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ये पर्व ज्यादातर मध्यप्रदेश खेला जाता है। यहां इस पर्व को खेलने की परंपरा काफी पुरानी है। इस दिन लोग जुलूस निकालकर सड़कों पर रंग मिला सुंगधित जल छिड़कते हैं। महाराष्ट्र में रंग वाली होली के दिन से रंग खेलने की शुरुआत हो जाती है जो रंग पंचमी के दिन तक चलती है। इस दिन का मुख्य पकवान होता है पूरनपोली। राजस्थान में इस पर्व वाले दिन जैसलमेर के मंदिर महल इलाके मे इसे खूब रौनक देखने को मिलती है। लोक नृत्यों आदि का आयोजन किया जाता है और हवा में लाल, नारंगी और फिरोजी रंग उड़ाए जाते हैं।
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रंगपंचमी का महत्व
इस पर्व का इतिहास काफी पुराना है। कहा जाता है कि प्राचीन समय में होली का उत्सव कई दिनों तक मनाया जाता था। जिसकी समाप्ति रंगपंचमी के दिन होती थी और उसके बाद रंग नहीं खेला जाता था। वास्तव में यह त्योहार होली का ही एक रूप है जो चैत्र मास की कृष्ण पंचमी के दिन मनाया जाता है। यह उत्सव चैत्र मास की कृष्ण प्रतिपदा से शुरू हो जाता है जो रंग पंचमी तक चलता है। देश के कई क्षेत्रों में इस अवसर पर धार्मिक और सांकृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किये जाते हैं। इस पर्व को लेकर मान्यता है कि इस दिन रंगों के जरिए भगवान अपने भक्तों को आशीर्वाद देते हैं।