Edited By Jyoti,Updated: 10 Oct, 2020 06:42 PM
शारदीय नवरात्रि के समापन के साथ ही दशमी तिथि लग जाती है, जिसके उपलक्ष्य में हर साल दशहरा का त्यौहार मनाया जाता है। धार्मिक कथाओं के अनुसार इस दिन श्री राम ने लंकापति रावण का वध कर माता सीता को उसके चगुंल से मुक्त करवाया था।
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शारदीय नवरात्रि के समापन के साथ ही दशमी तिथि लग जाती है, जिसके उपलक्ष्य में हर साल दशहरा का त्यौहार मनाया जाता है। धार्मिक कथाओं के अनुसार इस दिन श्री राम ने लंकापति रावण का वध कर माता सीता को उसके चगुंल से मुक्त करवाया था। यही कारण है इस दिन को विजय का प्रतीक माना जाता है। बता दें इस बार दशहरा का पर्व 25 अक्टूबर को मनाया जाएगा। जिससे पहले पूरे नौ दिन हमेशा की तरह नवरात्रों के दौरान देवी भगवती के नौ रूपों की पूजा की जाएगी। जिस तरह नवरात्रों में देवी दुर्गा को नौ रूपों की आराधना होती है ठीक वैसे ही दशहरा के खास अवसर पर श्री राम की पूजा का विधान है। बता दें धार्मिक कथाओं के अनुसार इस दिन रावण के साथ-साथ मेघनाथ और कुंभकरण के पुतले जलाए जाते हैं। कोई भी इस दिन रावण का नाम लेना पसंद नहीं करते। मगर क्या आप जानते हैं कि इस दिन चाहे कोई भी व्यक्ति रावण का नाम लेना चाहे पसंद न करता हो परंतु रावण द्वारा रचिर रावण संहिता में बताए गएं उपाय ज़रूर करता है। जी हां, आपको सुनने मे थोड़ा अटपटा ज़रूर लगा होगा मगर ये सच है। आज हम आपको इन्हीं उपायों के बारे में बताने वाले हैं जिन्हें अगर कोई व्यक्ति करता है, खासतौर पर दशहरे के दिन करता है तो उसे इसका बहुत ही शुभ प्रभाव मिलता है। बल्कि इन उपायों को करने से जातक का अमीर बनने का सपना तक पूरा हो सकता है।
धार्मिक शास्त्रों की मानें तो रावण ने चाहे माता सीता का अपहरण कर दुष्कर्म किया था, मगर रावण परम ज्ञानी और अति विद्वान था। तो वहीं उसका अहंकार उसके सर्वनाश का कारण माना जाता है। परंतु बहुत कम लोग जानते हैं कि असल में रावण शिव जी का परम भक्त था, बल्कि शिव जी की आराधना में उपयोग में होने वाला सबसे शक्तिशाली स्तोत्र, शिव तांडव स्तोत्र की रचना इसके द्वारा ही की गई थी।
तो वहीं ये भी बताया जाता है कि रावण को ज्योतिष और तंत्र-मंत्र की भी जानकारी प्राप्त थी। इसके अलावा इसके द्वारा एक ग्रंथ और था जिसे रावण संहिता के नाम से जाना जाता है। जिसके उपाय हम आपको आगे बताने जा रहे हैं-
“ॐ सरस्वती ईश्वरी भगवती माता क्रां क्लीं श्रीं श्रीं मम धनं देहि फट् स्वाहा” रावण संहिता के अनुसार इस मंत्र का लगातार 40 तक जाप करने से जातक पर देवी लक्ष्मी की कृपा होती है। तो वहीं इसके अनुसार जिस व्यक्ति का धन किसी न किसी कारण वश अटका हुआ होता है, उसे अपने धन प्राप्ति हो जाती है।
जिन लोगों को किसी न किसी कारण वश आर्थिक स्थिति का सामना करना पड़ें, उन्हें रावण संहिता में बताए अनुसार 21 दिनों तक लगातार रूद्राक्ष की माला से ‘ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं नम: ध्व: ध्व: स्वाहा’ मंत्र का जाप करना चाहिए। इस उपाय को करने से आय में वृद्धि होने लगती है।
गणेश जी को चढ़ाई जाने वाली दूर्वा को भी रावण संहिता में अधिक लाभकारी बताया गया है। इसमे बताए गए उपाय के अनुसार अधिक धन प्राप्ति के लिए दूध में दूर्वा से माथे पर तिलक करें।
इसके अलावा जिस व्यक्ति को समाज में मान-सम्मान न मिल रहा हो तो उसे बिल्व पत्र को पीसकर तिलक के रूप में लगाना चाहिए। इससे व्यक्ति का यश बढ़ता है।