Edited By Niyati Bhandari,Updated: 20 Aug, 2022 07:52 AM
शनिदेव का उल्लेख काल पुरुष के दुख रूप में बताया गया है। शनि देव की दृष्टि वक्र है अर्थात हर किसी पर उनकी दृष्टि रहती है क्योंकि नवग्रहों में शनिदेव का स्थान सर्वश्रेष्ठ है। वह पृथ्वीलोक के न्यायाधीश व दंडाधिकारी हैं। साधारण मानव तो क्या-देवता, असुर,...
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Lal kitab shani ke upay: शनिदेव का उल्लेख काल पुरुष के दुख रूप में बताया गया है। शनि देव की दृष्टि वक्र है अर्थात हर किसी पर उनकी दृष्टि रहती है क्योंकि नवग्रहों में शनिदेव का स्थान सर्वश्रेष्ठ है। वह पृथ्वीलोक के न्यायाधीश व दंडाधिकारी हैं। साधारण मानव तो क्या-देवता, असुर, सिद्ध, विद्याधर और नाग भी उनके नाम से भयभीत रहते हैं। भगवान शिव ने शनि देव को वरदान रूप में न्यायाधीश का पद दिया है जो व्यक्ति को उसके कर्मों के अनुरूप फल देते हैं।
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Lal Kitab: ज्योतिष के ग्रंथ लाल किताब में वर्णित है कि यदि शनि किसी जातक की कुण्डली में अनुकूल हैं तो यह अवश्यक नहीं है की वह आप पर सकारात्मक प्रभाव ही देंगे और प्रतिकूल होने पर यह अवश्यक नहीं है की वह आपको दुख ही देंगे। शनि कृपा का फल किए गए कर्मों द्वारा ही प्राप्त होता है।
Red Book: लाल किताब के अनुसार अगर कुण्डली में शनि शुभ फल प्रदान कर रहा है तो तीन ऐसे काम हैं, जिनसे शनि नाराज हो जाते हैं और सजा देते हैं। तो आईए जानें क्या हैं वह तीन काम
पहला काम- यदि आप किसी से शारीरिक श्रम या मेहनतकश काम लेते हैं तो उसे उसका पूरा पारिश्रमिक दें। किसी का हक मारने वाले को शनिदेव कभी माफ नहं करते। लोभ में आकर मजदूर पर शारीरिक या मानसिक अत्याचार न करें।
दूसरा काम- आपका कोई मित्र अथवा रिश्तेदार आपको लोहे अथवा चमड़े से निर्मित कोई वस्तु उपहार स्वरूप दे तो उसे स्वीकार न करें। किसी विशेष परिस्थिति में उपहार को स्वीकार करना ही पड़े तो उसे उसका कुछ दाम अवश्य चुकाएं।
तीसरा काम- मांस और मदिरा ग्रहण न करें लेकिन जब शनि दशा चल रही हो तो इन व्यसनों से कोसों दूर रहें।