क्या है करवा चौथ से अटला टड्डी पर्व का संबंध ?

Edited By Lata,Updated: 16 Oct, 2019 01:48 PM

relationship between karwa chauth and atla tuddi festival

उत्तर भारत में करवा चौथ का पर्व बड़ी ही धूम-धाम के साथ मनाया जाता है। इस साल ये 17 अक्टूबर को मनाया जा रहा है।

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उत्तर भारत में करवा चौथ का पर्व बड़ी ही धूम-धाम के साथ मनाया जाता है। इस साल ये 17 अक्टूबर को मनाया जा रहा है। बता दें कि आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु के कुछ हिस्सों में मनाए जाने वाले इस त्योहार का नाम है अटला टड्डी, जिसे हिंदी में आंवला तीज कहते हैं। उस स्थान पर ये पर्व 16 अक्टूबर के मनाया जा रहा हैं। वहां पर भी इस त्योहार की सारी परंपराएं करवा चौथ से ही मिलती-जुलती हैं। अटला टड्डी का पर्व भी महिलाएं अपने पति की लम्बी उम्र के लिए रखती हैं और रात में चांद को देखने के बाद ही उपवास खोलती हैं।  
PunjabKesari, Atla Tuddi festival, अटला टड्डी पर्व
परंपरा 
अटला टड्डी, दक्षिण भारत के प्रसिद्ध लोकउत्सवों में से एक है। इसमें भी महिलाएं और लड़कियां सुबह सूर्योदय के पहले जागती हैं और सरगी के तौर पर पहले चावल और नारियल के पकवान खाती हैं। शाम के समय महिलाएं और पुरुष अटला टड्डी के गीत गाते हुए अलग-अलग तरह के खेल खेलते हैं। इनमें सबसे लोकप्रिय और प्रचलन खेल- झूला झूलना होता है। उनका ये उत्सव सूर्योदय के पहले से ही शुरू हो जाता है। महिलाएं और लड़कियां हाथों में मेहंदी लगाकर 16 श्रृंगार करती हैं। इसके बाद वे पूरे दिन मंदिरों में और शहर की मुख्य जगहों पर अटला टड्डी के गीत गाने और झूला-झूलने में व्यस्त रहती हैं। 
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रात को चांद निकलने के बाद उसकी पूजा की जाती है। इसमें चावल से बनी मिठाई और डोसे चढ़ाए जाते हैं। आमतौर पर 11 डोसे चढ़ाने की परंपरा है। इस व्रत को विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए करती हैं, वहीं कुंवारी लड़कियां मनचाहे पति की कामना से इस व्रत को पूरी आस्था और उत्साह के साथ करती है। कई पारंपरिक इलाकों में 5 वर्ष से अधिक उम्र की लड़कियां ये व्रत करती हैं। इसे बहुत शुभ और भाग्यवर्द्धक व्रत माना गया है। 
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बता दें कि इसके साथ ही दिन में माता गौरी यानि पार्वती की पूजा की जाती है। महिलाएं रात को दीपक जलाकर चांद की पूजा करती हैं, माता गौरी की पूजा की जाती है। लेकिन दीपकों के जलते रहने तक व्रत को तोड़ा नहीं जाता है। 

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