Edited By Niyati Bhandari,Updated: 27 Apr, 2021 10:23 AM
देश में चल रहे किसी भी अन्याय के खिलाफ यदि कोई एक व्यक्ति भी आवाज उठाता है तो कभी-कभी उसके सकारात्मक परिणाम निकल सकते हैं। एक समय एक रोमन सम्राट के अत्याचारों से वहां की जनता में त्राहि-त्राहि
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Religious Katha- देश में चल रहे किसी भी अन्याय के खिलाफ यदि कोई एक व्यक्ति भी आवाज उठाता है तो कभी-कभी उसके सकारात्मक परिणाम निकल सकते हैं। एक समय एक रोमन सम्राट के अत्याचारों से वहां की जनता में त्राहि-त्राहि मची हुई थी। यदि कोई विरोध करने का साहस करता तो उसे मौत की सजा सुना दी जाती। वहां एक समाज सुधारक संत थे। उनका नाम बाजील था। वे एक कुटिया में रहते और सादा जीवन जीते थे।
वही एक थे जो सम्राट के अत्याचारों का खुलकर विरोध करते थे लेकिन सम्राट उनके खिलाफ कोई कड़ा कदम उठाने का साहस नहीं कर पाता था। एक दिन सम्राट ने अपना दूत बाजील के पास भेजकर कहा कि हमारा विरोध करना बंद कर दें। इसके बदले उन्हें राज्य की तरफ से इतनी सम्पत्ति दी जाएगी कि वह जिंदगी भर आराम से गुजर बसर कर सकते हैं।
दूत ने उन्हें सम्राट का संदेश सुना कर कहा, ‘‘आपने विरोध करना नहीं छोड़ा तो सम्राट क्रोध में आपको राज्य से बाहर कर देंगे।
संत ने कहा, ‘‘भाई तुम ठीक कहते हो। मैंने यदि सम्राट का कहना मान लिया तो मैं मालामाल हो जाऊंगा और मेरे अकेले विरोध से सम्राट सुधरेंगे भी नहीं लेकिन सम्राट के अत्याचारों का विरोध करना छोड़ दिया तो मेरी आत्मा मर जाएगी। एक संन्यासी और देश का नागरिक होने के कारण मेरा कर्तव्य है कि मैं सांस चलने तक सम्राट को सही रास्ते पर लाने का प्रयास करता रहूं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे उम्मीद है सम्राट एक दिन अवश्य सुधरेंगे। मैं उनका प्रस्ताव मानने को तैयार नहीं हूं। जो राजा और विद्वानों की चेतावनी अनसुना करता है, उसका सर्वनाश निश्चित है।’’
इस संदेश का सम्राट पर ऐसा असर हुआ कि उन्होंने खुद जाकर संत बाजील से दिल से माफी मांगी।