आखिर क्यों चुना भगवान गणेश ने मूषक को अपना वाहन?

Edited By Lata,Updated: 11 Sep, 2019 05:43 PM

religious katha of lord ganesha

हिंदू धर्म में भगवान गणेश का पूजन बुधवार के दिन करने का विधान होता है। कहते हैं कि उनका पूजन करने से व्यक्ति के

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हिंदू धर्म में भगवान गणेश का पूजन बुधवार के दिन करने का विधान होता है। कहते हैं कि उनका पूजन करने से व्यक्ति के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। गणों के स्वामी होने के कारण उनका एक नाम गणपति भी है। बता दें भगवान ने अपना वाह मूषक को चुना था, लेकिन इसके पीछे का रहस्य शायद ही कोई जानता होगा। इसलिए आज हम आपको बताएंगे कि उन्होंने मूषक को ही क्यो चुना। 
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पौराणिक कथा के अनुसार प्राचीन समय में सुमेरू अथवा महामेरू पर्वत पर सौभरि ऋषि का अत्यंत मनोरम आश्रम था। उनकी अत्यंत रूपवती और पतिव्रता पत्नी का नाम मनोमयी था। एक दिन ऋषि लकड़ी लेने के लिए वन में गए और मनोमयी गृह-कार्य में लग गई। उसी समय एक दुष्ट कौंच नामक गंधर्व वहां आया और उसने अनुपम लावण्यवती मनोमयी को देखा तो व्याकुल हो गया। अपनी व्याकुलता में कौंच ने ऋषि-पत्नी का हाथ पकड़ लिया। रोती और कांपती हुई ऋषि पत्नी उससे दया की भीख मांगने लगी। उसी समय सौभरि ऋषि आ गए। उन्होंने कौंच को श्राप देते हुए कहा ‘तूने चोर की तरह मेरी पत्नी का हाथ पकड़ा है, इस कारण तू मूषक होकर धरती के नीचे और चोरी करके अपना पेट भरेगा। कांपते हुए गंधर्व ने मुनि से प्रार्थना की -’दयालु मुनि, अविवेक के कारण मैंने आपकी पत्नी के हाथ का स्पर्श किया था, मुझे क्षमा कर दें’।
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ऋषि ने कहा मेरा श्राप व्यर्थ नहीं होगा, तथापि द्वापर में महर्षि पराशर के यहां गणपति देव गजमुख पुत्र रूप में प्रकट होंगे तब तू उनका वाहन बन जाएगा, जिससे देवगण भी तुम्हारा सम्मान करने लगेंगे। इसी तरह से भगवान गणेश के जन्म के बाद उनका वाहन मूषक बना था। 


 

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