यहां होता है हर बीमारी का Permanent इलाज

Edited By Jyoti,Updated: 12 May, 2018 02:09 PM

religious place

काशी को शिव की नगरी कहा जाता है, क्योंकि यहां भगवान के कई रहस्यमयी मंदिर प्राचीन समय से स्थापित है परंतु भगवान शिव की इसी नगरी में एक रहस्यमयी मंदिर भगवान दत्तात्रेय का है, जो यहां का चमत्कारी मंदिर माना जाता है।

काशी को शिव की नगरी कहा जाता है, क्योंकि यहां भगवान के कई रहस्यमयी मंदिर प्राचीन समय से स्थापित है परंतु भगवान शिव की इसी नगरी में एक रहस्यमयी मंदिर भगवान दत्तात्रेय का है, जो यहां का चमत्कारी मंदिर माना जाता है। तो आईए जानते हैं कि आखिर इस मंदिर में एेसा क्या होता है जो इस मंदिर को चमत्कारी मंदिर की पद्नी प्राप्त हुई। 

वैसे तो भगवान दत्तात्रेय के मंदिर देशभर में बहुत देखने को मिलते हैं। लेकिन ज्यादातार जहां भगवान दत्तात्रेय भगवान के मंदिर हैं, वहां उनके सिर्फ चरण पादुकाएं ही देखने केो मिलती हैं। इसका कारण यह है कि भगवान दत्तात्रेय मे अाज तक अपना शरीर नहीं छोड़ा है और वह ब्रह्मांड में आज भी विचरण करते रहते हैं। आईए जानतें हैं मंदिर के बारे में

यहां मिलती है सफ़ेद दाग से निजात
काशी के प्राचीन ब्रह्माघाट पर गुरू दत्तात्रेय भगवान का मंदिर स्थित है। मंदिर के बाहर लगा शिलापट्ट इमारत के तकरीबन डेढ़ सौ साल पुराना होने की गवाही देता है लेकिन बनारस के पुरोनियों का कहना है कि भगवान दत्तात्रेय के इस मंदिर का इतिहास दो सौ साल से भी ज्यादा पुराना है। वेद, पुराण, उपनिषद और शास्त्र बताते हैं कि फकीरों के देवता भगवान दत्तात्रेय का प्रादुर्भाव सतयुग में हुआ था। वैसे तो दक्षिण और पश्चिम भारत में भगवान दत्तात्रेय के ढेर सारे मंदिर हैं लेकिन इन मंदिरों में विग्रह कम उनकी पादुका ही ज्यादा है। 

काशी स्थित यह देवस्थान उत्तर भारत का अकेला है। भगवान दत्तात्रेय के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने अब तक देह त्याग नहीं किया है। वो पूरे दिन भारत के अलग अलग क्षेत्रों में विचरते रहते हैं। इसी क्रम में वो हर रोज गंगा स्नान के लिए प्रात:काल काशी में मणिकर्णिका तट पर आते हैं। मणिकर्णिका घाट स्थित भगवान दत्तात्रेय की चरण पादुका इस बात का प्रमाण है। कहते हैं कि ब्रह्माघाट स्थित मंदिर में भगवान दत्तात्रेय के दर्शन मात्र से मनुष्य को सफ़ेद दाग जैसे असाध्य रोग से मुक्ति मिलती है।

दत्तात्रेय का विग्रह हर जगह तीन मुखों वाला मिलता है लेकिन काशी अकेला ऐसा स्थान है जहां एक मुख वाला विग्रह विराजमान है। दत्तात्रेय भगवान ने ही बाबा कीनाराम को अघोर मंत्र की दीक्षा दी थी। आप गुरु गोरक्षनाथ के भी गुरु थे। साईं बाबा को इन्ही का अवतार माना जाता है। कहते हैं कि सच्चे मन से स्मरण किया जाए तो दत्तात्रेय भगवान भक्त के सामने आज भी हाजिर हो जाते हैं। महर्षि परशुराम ने मां त्रिपुर सुंदरी की साधना इन्हीं से हासिल की। 

अवधूत दर्शन और अद्वैत दर्शन के जरिये भगवान दत्तात्रेय ने मनुष्य को खुद की तलाश का रास्ता दिखाया। आपका वास होने के कारण गूलर के वृक्ष की पूजा की जाती है। बनारस के पुरनिये ब्रह्माघाट के मंदिर में दर्शन मात्र से हुए चमत्कारों की कथा सुनाते अघाते नहीं हैं। उनका कहना है कि ये वो जगह है जहां मन मांगी मुराद मिलती है।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

Related Story

India

397/4

50.0

New Zealand

327/10

48.5

India win by 70 runs

RR 7.94
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!