Kundl Tv- यहां काल भैरव को लगता है शराब का भोग

Edited By Jyoti,Updated: 29 Nov, 2018 03:31 PM

religious place of kaal bhairav

शास्त्रों के अनुसार मार्गशीर्ष कृष्णपक्ष अष्टमी को भगवान शिव कालभैरव के रूप में प्रकट हुए थे इसलिए इस दिन इनके व्रत और पूजा का विशेष महत्व रहता है।

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शास्त्रों के अनुसार मार्गशीर्ष कृष्णपक्ष अष्टमी को भगवान शिव कालभैरव के रूप में प्रकट हुए थे इसलिए इस दिन इनके व्रत और पूजा का विशेष महत्व रहता है। आज पूरे भारत में काल भैरव जंयती मनाई जा रही है, जिसे कालभैरव अष्टमी भी कहा जाता है। तंत्र-मंत्र साधना के लिए काल भैरव अष्टमी उत्तम मानी जाती है। मान्यता के अनुसार इस दिन इनकी पूजा करने से जीवन में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं। 
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भारत में इनके कई मंदिर हैं जहां लोग इनकी पूजा और साधना करते हैं। वैसे तो हर मंदिर का कोई न कोई रहस्य ज़रूर होता है। लेकिन कुछ रहस्य ऐसे होते हैं जो हमें सोचने पर मज़बूर कर देते हैं। ऐसा ही एक मंदिर मध्य प्रदेश में है, जहां हिंदू धर्म में शराब पीना गलत माना जाता है वहीं एक मंदिर ऐसा भी है यहां चढ़ावे में शराब चढ़ाई जाती है। आइए जानते हैं इस परिसर के बारे में और भी कई दिलचस्प बातें- 
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काल भैरव का ये मंदिर मध्य प्रदेश के उज्जैन, भैरवगढ़ नामक गांव में स्थित है। इस भवन का वर्णन स्कंदपुराण में भी मिलता है। इसकी खास बात ये है कि यहां विराजमान भैरव की प्रतिमा को शराब का भोग लगता है। इससे भी चौकाने वाली बात ये है कि जिस बर्तन में उनको भोग लगाया जाता है वो पात्र थोड़ी ही देर में खाली हो जाता है। कहा जाता है भैरव स्वयं वो प्रसाद ग्रहण करते हैं। लोग ये देखकर हैरान हो जाते हैं आखिर बर्तन में डाली शराब जाती कहां है? 
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कहते हैं इसी ये करिश्मे को देखने लाखों की तादाद में लोग यहां आते हैं। इस मंदिर का रहस्य जानने के लिए वैज्ञानिक भी यहां शोध कर चुके हैं लेकिन कोई भी सबूत न निकाल पाए कि आखिर शराब जाती कहां है। यहां तक कि मंदिर की इमारत को मज़बूती देने के लिए मंदिर के चारों ओर करीब 12-12 फीट गहरी खुदाई की गई है। ताकि ये पता लगाया जा सके कि अगर भैरव की मूर्ति शराब का सेवन करती भी है तो ये शराब जाती कहां है। परंतु इस उलझन के लिए लोगों द्वारा की गई ये कोशिश भी नाकाम रही। 
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पुराणों के अनुसार मदिरा का पान नहीं करना चाहिए। इसका पान करने वाला व्यक्ति पथभ्रष्ट हो जाता है। कालभैरव को शराब अर्पित करते समय हमें यही सोचना चाहिए कि हम समस्त बुराइयां भगवान को समर्पित कर रहे हैं। भगवान हमें सद्बुद्धि प्रदान करें और अच्छाई के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दें। 
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